अगर आप एसयुवी या लग्जरी सेडान खरीदने के बारे में सोच रहे है तो जल्द फैसला कर लेना ठीक होगा क्योंकि माना जा रहा है कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल ने लग्जरी गाडियों पर सेस को अभी के १५ पर्सेंट से बढाकर २५ पर्सेंट करने का फैसला किया है । हालांकि, अगर काउसिल सेस बढाने का फैसला करती है तो यह तुरंत लागु नही होगा । इसके लिए जीएसटी कोम्पेंसेशन लो में संशोधन की जरुरत पडेगी । जीएसटी काउंसिल की मिटींग में शनिवार को हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, काउंसिल ने जीएसटी लो में संशोधन को मंजुरी दी है, जिससे कोम्पेंसेशन सेस में बढोतरी होगी । अधिकारी ने बताया कि काउंसिल का मत यह था कि महंगी गाडियो पर सेस की सीमा उंची रखी जाए । कारो की जीएसटी के तहत सबसे उचे २८ पर्सेंट वाले स्लैब में रखा गया है । यह भी ध्यान देने लायक बात है कि जीएसटी काउंसिल पहले ही सेस सहित इस पर अधिकतम टैक्स ४० पर्सेंट तय कर चुकी है । ४ मीटर की लंबाई वाली छोटी पेट्रोल और १२०० सीसी इंजन कैपेसिटी वाली गाडियो पर १ पर्सेंट सेस लगाया गया है, जबकि इसी लंबाई और १५०० सीसी कैपेसिटी की डीजल गाडियो पर ३ पर्सेंट का सेस तय किया गया है । मिड साइज की बडी कारो या एसयुवी पर सेस १५ पर्सेंट है, जिससे जीएसटी लागु होने के बाद कुछ मोडल्स के दाम में कमी आई थी । १ जुलाई को जीएसटी लागु होने के बाद कई कार कंपनियों ने गाडियो की कीमत में कटौती की थी । हालांकि, कुछ कार कंपनियो को छोटी गाडियो के दाम में सेस की वजह से बढोतरी करनी पडी थी । सरकार का मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना झंझट भुगतान की वजह से इंडस्ट्री को फायदा होगा, जिससे कुलमिलाकर गाडियो की कीमत कम होगी । केंद्र सरकार ने अलग से जीएसटी बिल, २०१६ भी पेश किया था । यह बिल इसलिए लाया गया था ताकि लग्जरी और कथित सिन (शराब, तंबाकु आदि) प्रोडक्ट्स पर टैक्स बढाकर राज्यो को नए टैक्स सिस्टम से होने वाले किसी नुकसान की भरपाई की जा सके । राज्यो को कोम्पेंसेशन देने का प्रविजन संविधान संशोधन के जरिये किया गया । इसके मुताबिक, जीएसटी से होने वाले लोस की भरपाई केंद्र सरकार राज्यो को पांच साल तक करेगी ।