कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि अधिक से अधिक किसानों को कृषि के लिए बैंकों से ऋण दिलाने के लिए अनावश्यक औपचारिकताओं को समाप्त कर दिया गया है और अब 14 दिनों के अंदर ऋण सीमा निर्धारित कर दी जाएगी। अग्रवाल ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों के ऋण लेने की प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया गया है और इसके लिए जमीन के कागज और केवाईसी फार्म के साथ किसानों का फोटो लिया जाएगा।
किसानों के ऋण के लिए प्रोसेसिंग शुल्क और निरीक्षण शुल्क समाप्त कर दिया गया है और बैंकों में ऋण के लिए एक समान आवेदन पत्र की व्यवस्था कर दी गई है। जनधन खाता धारकों के लिए भी समान व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि करीब 50 प्रतिशत किसान बैंकों से ऋण नहीं लेकर गैर संस्थागत या महाजन से ऋण लेते हैं जिस पर उन्हें भारी ब्याज देना पड़ता है। इसके साथ ही बैंकों में ऋण के लिए कई प्रकार के शुल्क और जटिल कागजी प्रक्रिया के कारण भी किसान ऋण लेने से हिचकिचाते थे।
कृषि सचिव ने कहा कि किसानों को फसलों के लिए बैंक से कर्ज पर चार प्रतिशत ब्याज देना होता है जबकि कई राज्यों में किसानों को शून्य प्रतिशत पर भी ऋण मिलता है। इसके बावजूद करीब आधे किसान बैंकों से कर्ज नहीं लेते हैं। अग्रवाल ने किसानों की कामयाबी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने तीन साल में दलहनों का उत्पादन बढ़ाकर देश को इस मामले में आत्मनिर्भर बना दिया। इसके लिए नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया और इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई। इतना ही नहीं सरकारी खरीद में 14 गुना की वृद्धि की गई। इससे दालों का उत्पादन एक करोड़ 60 लाख टन से बढ़कर दो करोड़ 60 लाख टन हो गया।