भारत अंतरिक्ष संगठन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (आईएसआरओ) ने एक और कामयाब सैटलाइट लॉन्च किया । श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्चपैड से कार्टोसैट-२एस सैटलाइट के साथ ३० नैनो सैटलाइट्स को पीएसएलवी-सी३८ लॉन्च वीइकल से छोड़ा गया । लॉन्च के वक्त इसरो के चेयरमैन एएस किरन कुमार भी मौजूद थे । उन्होंने साथी वैज्ञानिकों को बधाई दी । इस लॉन्च के साथ ही इसरो की ओर से कुल स्पेसक्राफ्ट मिशनों की संख्या ९० हो गई । इसरो को उसकी कामयाबी पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई दी है । धरती पर नजर रखने के लिए लॉन्च किए गए ७१२ किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-२ श्रृंखला के इस उपग्रह के साथ करीब २४३ किलोग्राम वजनी ३० अन्य नैनो सैटलाइट्स को एक साथ प्रक्षेपित किया गया । सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब ९५५ किलोग्राम है । साथ भेजे जा रहे इन उपग्रहों में भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका समेत १४ देशों के नैनो उपग्रह शामिल है । २९ विदेशी जबकि एक नैनो सैटलाइट भारत का है । भारत के नैनौ सैटलाइट का नाम एनआईयुएसएटी है, जिसका वजन महज १५ किलोग्राम है । यह खेती के क्षेत्र में निगरानी और आपदा प्रबंधन में काम आएगा । भारतीय सेना को भी इस सैटलाइट लॉन्च से फायदा होगा । निगरानी से जुड़ी ताकत बढ़ेगी । आतंकी कैंपों और बंकर्स की पहचान उनपर नजर रखने में मदद मिलेगी । एक बार कक्षा में स्थापित हो जाने के बाद इसरो का मकसद इन सभी सैटलाइट्स को चालू कर देना है । हालांकि, इन अंतरिक्ष यानों को स्पेस में घूम रहे मलबों से टकराने से रोकना एजेंसी की सर्वोच्च प्राथमिकता है । यह मलबा पुराने खराब हो चुके सैटलाइट्स, रॉकेट के हिस्से, अंतरिक्ष यान के विभिन्न चरणों के लॉन्च के दौरान अलग हुए टुकड़े आदि होता है । अंतरिक्ष में तैरते ये मलबे बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि इनकी रफ्तार ३० हजार किमी प्रति घंटे तक होती है ।कभी-कभी ये इतने छोटे या नुकीले होते है, जो सैटलाइट्स, अंतरिक्ष यानों और यहां तक कि स्पेस स्टेशनों तक के लिए बेहद खतरनाक होते है ।
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