बोलीवुड के कलाकार सनी देओल का परिवार राजनिति से अछूता नहीं. उनके पिता धर्मेन्द्र-विरू भाजपा से सांसद रह चुके है. दुसरी मा हेमामालिनी भाजपा की अब सिनियर सांसद है. और इस आम चुनाव में भाजपाने सनी को पंजाब के गुरूदासपुर सीट के लिये पसंद किया तब परिणाम तय था की ढाइ किलो का हाथ ही जीतेगा. हुवा भी यही. अपने ढाइ किलो के हाथ के डायलोग से जाने जाते सनी जीत गये. और जीतने के बाद उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिये, सरकारी मिटिंगो में अपनी ओर से हाजिर रहेने के लिये अपना एक आधिकारिक प्रतिनिधि नियुक्त किया. उन्होंने पंजाब सरकार और सभी को अपने हस्ताक्षर के साथ आधिकारिक पत्र भी भेज दिया. यानि की निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं के लिये जो सरकारी मिटिंगे मिलेंगी उसमें सांसद सनी देओल की जगह उनका प्रतिनिधि हाजिर रहेंगा और सरकार को या स्थानिय प्रशासन को समस्याओं के बारे में बतायेंगे…!
सरकार रेलवे का निजीकरण कर रही है. रेल मंत्रालय के बदले निजी कंपनीयां रेलगाडीयां दौडायेंगी. जो काम सरकार या मंत्रालय का है वह दुसरे करेंगे. सांसद सनी देओल को जो काम है मतदाताओं के लिये वह काम वे खुद नहीं लेकिन उनके प्रतिनिधि करेंगे तो फिर मतदाताओं ने वोट किसे दिया….? भाजपा के प्रत्याशी सनी को या उनके प्रतिनिधि को…? क्या सनीने प्रचार के दौरान मतदाताओं से कहा था की वे मुंबइ में रहते है, उनके पास टाइम नहीं है इसलिये जीतने के बाद वे निर्वाचनक्षेत्र के लिये ध्यान नहीं दे पायेंगे और उनका प्रतिनिधि उनसे मिल कर निपटारा करेंगे…? भाजपा ने ये कैसा प्रत्याशी चुना है…? आज सांसद सनीने प्रतिनिधि नियुक्त किया कल को भाजपा के या अन्य दल के सांसद इसी तरह प्रतिनिधि नियुक्त कर सरकारी मिटिंगों में नहीं जायेंगे और सरकार से बैठे बैठे वेतन या पगार लेते रहेंगे….! तो फिर ऐसा भी किया जाना चाहिये की संसद भवन में भी सनी देओल की जगह उनका प्रतिनिधि बैठेगा ताकि सदन की कार्यवाई से अच्छी तरह परिचित हो….!
क्या यही लोकतंत्र की प्रणालि है….? क्या ऐसे ही सांसद चुने जायेंगे…? कल को तो कोइ ये कहेंगा की सरकार चलाने का काम भी कीसी ओर को दे देजिये. यदि कानून बनानेवाले सांसद सरकार की आधिकारिक मिटिंगो में हाजिर नहीं रहेंगा तो फिर उसकी वैधता क्या रहेंगी…? क्या ऐसी नई व्यवस्था को भाजपा या अन्य दल स्वीकार करेंगे…? कल को हेमा मालिनी अपना प्रतिनिधि सरकारी मिटिंगो में भेजेगी…तो क्या ये चल सकता है…? लगता है की ढाइ किलो का हाथ जीतने के बाद ढाइ ग्राम का बन गया…?! ये चल नहीं सकता. चलाना हो तो भाजपा को और पंजाब सरकार के प्रशासन को….!