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मार्शल अर्जनसिंह को राजकीय सम्मान के साथ दी गई विदाई

पाकिस्तान को १९६५ की जंग में एक घंटे में अंदर घुटनों पर ला देने वाले भारतीय वायु सेना के जांबाज मार्शल सिंह को सोमवार को आखिरी विदाई दी गई । दिल्ली के बरार स्क्वेयर में अर्जनसिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया । मार्शल को १७ तोपों और फ्लाई पास्ट से सलामी दी गई । पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बरार स्क्वेेयर पहुंचकर मार्शल अर्जन को श्रद्धांजलि दी । मार्शल अर्जन के सम्मान में आज सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है । अर्जनसिंह का शनिवार को सेना के रिचर्स ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था । रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेन्द्र मोदी ने उनके अंतिम दर्शन किए थे और श्रद्धांजलि अर्पित की थी । पंजाब के लयालपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में १५ अप्रैल १९१९ को जन्मे अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले इंडियन एयर फोर्स के इकलौते ऑफिसर थे । इंडियन आर्मी में उनके अलावा बस २ और ओफिसर्स को फाइव स्टार रैंक मिली थी । फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ । जून में सैम मानेकशॉ के निधन के बाद अर्जन सिंह भारतीय सेना के फाइव स्टार रैंक वाले एकमात्र जीवित ऑफिसर थे । १९ साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने रॉयल एयर फोर्स कॉलेज जॉइन किया था । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होने बर्मा में बतौर पायलट और कमांडर अद्भुत साहत का परिचय दिया । अर्जन सिंह की कोशिशों के चलते ही ब्रिटिश भारतीय सेना ने इंफाल पर कब्जा किया जिसके बाद उन्हें डीएफसी की उपाधि से नवाजा गया ।

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