Aapnu Gujarat
રાષ્ટ્રીય

भारत-चीन तनाव : विदेश मंत्री जयशंकर ने पहली बार माना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान सभी समझौतों एवं सहमतियों का सम्मान करते हुए और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव का प्रयास किए बिना ही प्रतिपादित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर भारत का रूख स्पष्ट किया। जयशंकर ने लद्दाख की स्थिति को 1962 के संघर्ष के बाद ‘सबसे गंभीर’ बताया और कहा कि दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी ‘अभूतपूर्व’ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी सीमा स्थितियों का समाधान कूटनीति के जरिये हुआ। अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे : स्ट्रैटजिज फार एन अंसर्टेन वर्ल्ड’ के लोकार्पण से पहले rediff.com को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, हम चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं । वास्तव में दोनों साथ चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन जब बात समाधान निकालने की है, तब यह सभी समझौतों एवं सहमतियों का सम्मान करके प्रतिपादित किया जाना चाहिए। और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव का प्रयास नहीं होना चाहिए।
भारत जोर दे रहा है कि चीन के साथ सीमा गतिरोध का समाधान दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन के लिए वर्तमान समझौतों और प्रोटोकाल के अनुरूप निकाला जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने सीमा विवाद से पहले लिखी अपनी पुस्तक में भारत और चीन के भविष्य का चित्रण कैसे किया है, विदेश मंत्री ने कहा कि यह दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संबंध है और इसके लिये रणनीति और दृष्टि की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर हम पिछले तीन दशक पर ध्यान दें तब यह स्वत: ही स्पष्ट हो जाता है। भारत और चीन पिछले तीन महीने से पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण गतिरोध की स्थिति में है जबकि कई दौर की राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है। यह तनाव तब बढ़ गया जब गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए और चीनी सैन्य पक्ष में भी कुछ मौतें हुई।
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर 1962 के बाद सबसे गंभीर स्थिति है। वास्तव में 45 साल के बाद इस सीमा पर सैनिकों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में देपसांग, चुमार, डोकलाम आदि पर सीमा विवाद पैदा हुए । इसमें प्रत्येक एक दूसरे से अलग था लेकिन इसमें एक बात समान थी कि इनका समाधान राजनयिक प्रयासों से हुआ। अमेरिका के साथ संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका में व्यापक आयामों में हमें समर्थन हासिल है। यह संबंध विभिन्न प्रशासन के तहत आगे बढ़े हें और गहरे हुए हैं। रूस के साथ संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि ये पिछले तीन दशकों में कई क्षेत्रों में काफी मजबूत हुए हैं।

Related posts

જવાનોનું બલિદાન વ્યર્થ જશે નહીં : મોદી

aapnugujarat

डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने किए अमरनाथ के दर्शन

aapnugujarat

છત્તીસગઢમાં બે નકસલી ઠાર મરાયાં

aapnugujarat

Leave a Comment

UA-96247877-1