एक ट्राइब्यूनल ने १५ बैकों पर फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) की ओर से लगाए गए जुर्माने को रद्द कर दिया हैं । एफआईयू ने वह जुर्माना कथित रुप से मनी लॉन्ड्रिंग में मदद करने के मामले में लगाया था । कथित मनी लॉन्ड्रिंग में मदद का दावा डिजिटल कोबरापोस्ट ने चार साल पहले किया था । प्रिवेशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत काम करने वाले अपीलेट ट्राइब्यूनल ने ८८ पेज के अपने आदेश में जुर्मानों को खारिज कर दिया । उसने कहा कि एफआईयू बैकों के खिलाफ आरोपों की जांच करने में विफल रही और वह केवल इलेक्ट्रोनिक सबूत पर भरोसा करती रही, जो स्वीकार्य नहीं था । ट्राइब्यूनल ने अपने ओर्डर में कहा कि यह साफ है कि डायरेक्टर (एफआईयू) ने अब रद्द किए गए उस आदेश को जारी करने से पहले एडिटेड टेपों और ट्रांसक्रिप्ट्स से अलग कोई जांच नहीं की । एफआईयू को अब तक पूरे और अनएडिटेड टेप्स नहीं मिले हैं । लिहाजा यह साफ है कि प्रतिवादी इलेक्ट्रोनिक सबूत के आधार पर मामला साबित करने में विफल रहा । ऑनलाइन अपलोड की गई ट्रांसक्रिप्टस स्वीकार्य नहीं है और कानून के तहत अधिकृत नहीं हैं । ट्राईब्यूनल ने कहा कि ट्रांसक्रिप्ट्स और वीडियो के वर्जन एडिटेड थे और उन्हें असल बातचीत का ठोस सबूत नहीं माना जा सकता हैं । कोबरापोस्ट ने कुछ बैक एग्जिक्युटिव की बातचीत रिकोर्ड की थी, जिसमें कथित तौर पर वे अनकाउंटेड रकम को वैध बनाने का ओफर दे रहे थे ।