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जम्मू कश्मीर मुद्दे से निपटने में पटेल सही थे, नेहरू गलत : रविशंकर प्रसाद

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि आजादी के बाद जम्मू कश्मीर मुद्दे से निपटने के रुख के मामले में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू गलत थे जबकि देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल सही थे । एनडीए सरकार के कार्यकाल के १०० दिन पूरे होने के मौके पर गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनुच्छेद ३७० से जुड़े एक सवाल पर केंदीय मंत्री ने यह जवाब दिया । जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद ३७० के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने का उल्लेख करते हुए प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक गलती को सुधार कर अत्यंत साहस का परिचय दिया है । प्रसाद ने यहां पत्रकारों से कहा, मैं कहना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर को लेकर सरदार पटेल सही थे और जवाहर लाल नेहरू गलत थे । यह (अनुच्छेद ३७०) एक ऐतिहासिक गलती थी जो (उस समय) की गई और (विशेष दर्जे को समाप्त करके) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ऐतिहासिक गलती को सुधारकर अत्यंत साहस दिखाया है । भाजपा के वरिष्ठ नेता आज यहां मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के १०० दिनों की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए आये थे । उन्होंने कहा, अनुच्छेद ३७० के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने का निर्णय ऐतिहासिक, साहसी, दूरगामी तथा जम्मू कश्मीर के साथ ही भारत के हित में है । हमारे प्रधानमंत्री ने जो साहस दिखाया है, मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं । मैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को उनकी रणनीतिक योजना और (निर्णय के) क्रियान्वयन के लिए भी बधाई देता हूं । प्रसाद ने कहा कि पिछले महीने, संविधान का वह विवादित प्रावधान समाप्त किये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में एक गोली भी नहीं चलाई गई है । उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के १४ पुलिस थानाक्षेत्रों को छोड़कर बाकी सभी इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया गया है । कानून मंत्री ने कहा कि ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे प्रमुख देशों सहित पूरे विश्व ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के कदम की प्रशंसा की । उन्होंने ध्यान दिलाया कि यहां तक कि चीन ने भी इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ खुलेआम आपत्ति नहीं दर्ज करायी है । प्रसाद ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि इसको लेकर विपक्षी दल का क्या रुख है? पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में एक बड़ी रैली करने की नवीनतम घोषणा पर प्रसाद ने उनसे कहा कि वह पहले क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात करें । उन्होंने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले लोगों की स्थिति क्या है? क्या उन्हें लोकतांत्रिक अधिकार दिये गए हैं? क्या उनके पास रोजगार के अवसर हैं? कश्मीर के बारे में बात करने की बजाय इमरान खान और पाकिस्तान दोनों को पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन के बारे में बात करनी चाहिए ।
प्रसाद ने कहा, इस बारे में बात करें कि बलूचिस्तान और गिलगिट में रहने वाले लोगों के साथ क्या हो रहा है । खान ने बुधवार को एक ट्‌वीट में कहा, मैं शुक्रवार १३ सितम्बर को मुजफ्फराबाद में एक बड़ा जलसा करने जा रहा हूं । यह विश्व को ‘आईओजेके’ में भारतीय बलों के बारे में एक संदेश देने के लिए और कश्मीरियों को यह दिखाने के लिए है कि पाकिस्तान उनके साथ खड़ा है । संचार, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का भी प्रभार संभालने वाले प्रसाद ने मोदी सरकार के १०० दिनों की कई अन्य उपलब्धियां भी सूचीबद्ध की जिसमें तीन तलाक को अपराध बनाना और किसी को आतंकवादी घोषित करने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून में संशोधन शामिल है । उन्होंने पोक्सो कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक का भी उल्लेख किया जिसमें बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के लिए मौत की सजा और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है ।

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