एक तरफ जहां भारत अमरीका के साथ रक्षा साझेदारी बढ़ाने और मजबूत करने का इच्छुक है। वहीं अमरीका ने साफ कर दिया है कि वह इस तरह के सैन्य उपकरण खरीदने वाले किसी भी देश के खिलाफ है। अमरीका ने कहा है कि रूस निर्मित S-400 मिसाइल रक्षा सिस्टम अमरीका की पांचवीं पीढ़ी के अति सुरक्षित विमानों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है। बता दें कि पेंटागन की ओर से यह टिप्पणी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस घोषणा के ठीक एक दिन बाद आई है, जिसमें यह कहा गया था कि यदि तुर्की ने रूस से S-400 खरीदा तो अमरीका तुर्की को एफ-35 लड़ाकू विमान नहीं बेचेगा।
रूस ने तुर्की को S-400 की पहली खेप की सप्लाई कर दी है। इससे अमरीका तनाव में आ गया है। अमरीका ने रूस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। भारत भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है। बीते साल अक्टूबर में भारत ने रूस के साथ S-400 खरीदने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया है। रक्षा उप सचिव डेविड जे ट्राचटेनबर्ग ने कहा मेरे विचार से भारत के साथ हमारी रक्षा साझेदारी मजबूत है और इसे अधिक मजबूत बनाने पर विचार किया जा रहा है। डेविड से भारत के रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के फैसले को लेकर अमरीका के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछा गया था।
जब डेविड से पूछा गया कि क्या अमरीका भारत के साथ रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ा सकता है, जो कि रूस के साथ S-400 खरीदने जा रहा है। इस पर डेविड ने कहा कि हमने स्पष्ट तौर से यह संदेश दिया है कि हम इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी देश किसी भी ऐसे उपकरण को न खरीदे जो अमरीका पांचवीं पीढी के एयरक्राफ्ट को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया हो। अमरीका तुर्की को अब F-35 एयरक्राफ्ट नहीं बेचेगा, क्योंकि यह पहले से लगभग तय हो चुका था कि तुर्की रूस से S-400 खरीदेगा। हालांकि तुर्की के साथ यह सौदा रद्द होने से दोनों देशों के रिश्तों में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अमरीका आगे भी नाटो के साथ सैन्य अभ्यास में भाग लेता रहेगा।
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