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म्युनि. पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी का काम अभी धीमी गति से

म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन संचालित नवरंगपुरा की पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी को गत वर्ष २०१२ में करीब डेढ़ करोड़ रुपये के खर्च से कीमती उपकरणों को खरीदकर आधुनिक बनायी गई थी । उस समय में प्रशासन द्वारा पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी को राष्ट्रीय स्तर का अवॉर्ड मिलने की घोषणा की गई थी । हालांकि विभिन्न खाद्य पदार्थों के सेम्पल की जांच समय पर कराने के मामले में लेब का काम फ्लोप साबित हुई है । फिलहाल में राज्यभर में दूध की बनावट में विभिन्न प्रकार की मिलावट का मामला विवादास्पद हो गया था । उस समय में प्रशासन द्वारा गत २ अप्रैल को दूध के तीन सेम्पल, ३ अप्रैल को चार सेम्पल, ४ अप्रैल को दो सेम्पल, ५ अप्रैल को १७ सेम्पल, ६ अप्रैल को १३ सेम्पल, ७ अप्रैल को ३ सेम्पल लेकर लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया था । वास्तव में तो दूध के सेम्पल का रिपोर्ट वैध तरीके से १४ दिन में आ जाना चाहिए । यानी कि गत २ अप्रैल को लिए गए सभी तीन -तीन सेम्पल का रिपोर्ट तैयार होना चाहिए । लेकिन लेब द्वारा एक भी सेम्पल का रिपोर्ट तैयार नहीं किया गया है । जिसके कारण शहर में बेचा जाता दूध में मिलावट होता है कि नहीं यह साबित नहीं हो सका है । म्युनिसिपल पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजे जाते विभिन्न खाद्य पदार्थ के सेम्पल के रिपोर्ट के बारे में अक्सर विवाद हुआ है ।
कई प्रकरण में मिलावट व्यापारी के साथ प्रशासन की मिलीभगत से सेम्पल का रिपोर्ट व्यापारी के समर्थन में आये ऐसा खेल खेला जाता है तो कई सेम्पल लेते समय भी सावधानीपूर्वक मिलावट आदि के खाद्य पदार्थ लेकर लेब में जांच के लिए भेजा जाता है । संबंधित सेम्पल रिपोर्ट में आर्थिक लेनदेन होने की भी चर्चा होती रही है । यहां उल्लेखनीय है कि १४ अप्रैल तक में हेल्थ विभाग ने कुल ६२ सेम्पल विभिन्न खाद्य पदार्थों के लिए है । हालांकि अभी तक एक भी सेम्पल का रिपोर्ट नहीं आया है ।

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