आदिवासी समाज के १४०० से ज्यादा विद्यार्थियों ने नीट की परीक्षा में पास होकर मेडिकल-पेरामेडिकल के विभिन्न कोर्स में प्रवेश के लिए योग्यता प्राप्त कर राज्य और देश का गौरव बढ़ाया है । आदिवासी युवाओं मेडिकल सिवाय आईएएस, आईपीएस और आईआईटी जैसी उच्च श्रेणी की परीक्षा को पास कर सके इस उद्देश्य से इस बारे में तालीम वर्गों को कुछ ही दिनों में राज्य के मुख्य शहरों में शुरू किया जाएगा यह गुरुवार को गांधीनगर में आयोजित हुए मेडिकल में प्रवेशपात्र आदिवासी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा संवाद में आदिवासी विकासमंत्री गणपतसिंह वसावा ने प्रेरक मार्गदर्शन देते हुए कहा था ।
मंत्री वसावा ने बताया है कि, उमरगाम से अंबाजी तक के १५ जिलों का वनवासी बंधुओ का इतिहास गौरवशाली रहा है । आजादी की लड़ाई में और वनबंधुओ ने देश के लिए बलिदान दिया है । वनबंधुओ के सभी के विकास के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष चिंता करके वनबंधु कल्याण योजना को लागू किया है । राज्य सरकार ने आदिवासी तहसीलों में विद्यार्थियों को योग्य तालीम के लिए गुजकेट और नीट के तालीम वर्ग शुरू किया गया है । जिसकी वजह से आज परिस्थिति बदल गई है । मेडिकल में योग्यता प्राप्त विद्यार्थियों को फीस नहीं चुकाने के कारण प्रवेश से वंचित नहीं रहे इसके लिए राज्य सरकार द्वारा फीस फीस का प्रथम हप्ता चुकाया जाता है इसके बाद उनके स्कोलरशिप में से जमा लिया जाता है यह मंत्री ने आगे बताया था । मंत्री वसावा ने बताया है कि, आदिवासी विद्यार्थियों को विदेश अभ्यास के लिए २० लाख रुपये की सहायता भी दी जाती है । आदिवासी विद्यार्थियों के शिक्षा के लिए एकलव्य मॉडल स्कूल और निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए टेलेन्ट पूल योजना लागू की गई है जिसकी फीस सरकार द्वारा चुकाती है । कन्या शिक्षा प्रवेशोत्सव जैसे शिक्षालक्षी यज्ञ से आदिवासी शिक्षा में १४ फीसदी की वृद्धि हुई है । राज्य सरकार के प्रयास से वर्ष २०१४ तक मेडिकल कोर्स में आदिवासी के लिए आरक्षित सीटों में से ५० सीटें रिक्त रहती थी ।