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Gautam Adani अंबुजा और एसीसी को १०.५ अरब डॉलर में टेकओवर करेंगे

एशिया के सबसे अमीर आदमी गौतम अडाणी सीमेंट कंपनी अंबुजा और एसीसी का टेकओवर करेंगे । अडाणी ग्रुप की ये डील १०.५ अरब डॉलर (करीब ८१ हजार करोड़ रुपए) में हुई है । ये भारत के इंफ्रा और मटेरियल्स स्पेस में सबसे बड़ा अधिग्रहण है । ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी पिछले हफ्ते इस डील के संबंध में अबुधाबी और लंदन गए थे । अभी वे भारत लौट आए हैं ।एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनीज और अंबुजा पर मालिकाना हक होलसिम कंपनी का है । यह स्विट्‌जरलैंड की बिल्डिंग मटेरियल कंपनी है । एसीसी की शुरुआत १ अगस्त १९३६ को मुंबई से की गई थी । उस समय कई ग्रुप्स ने मिलकर इसकी नींव रखी थी । अंबुजा सीमेंट की स्थापना १९८३ में नरोत्तम सेखसरिया और सुरेश नियोतिया ने की थी ।
इस टेकओवर की जानकारी देते हुए गौतम अडाणी ने ट्‌वीट कर कहा, ‘भारत की कहानी में हमारा विश्वास अडिग है । भारत में होलसिम की सीमेंट कंपनियों को हमारी ग्रीन एनर्जी और लॉजिस्टिक्स के साथ मिलाने से ये हमें दुनिया की सबसे ग्रीनेस्ट सीमेंट कंपनी बना देगी ।’ होलसिम कंपनी ने भारत में १७ साल पहले कारोबार शुरू किया था । यह दुनिया की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी मानी जाती है । इस डील के बाद कंपनी भारत में अपना बिजनेस बंद कर सकती है । होलसिम ग्रुप की देश में दो सीमेंट कंपनियों अंबुजा सीमेंट और न्ष्टष्ट लिमिटेड में हिस्सेदारी है । अंबुजा सीमेंट में होल्डरइंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के जरिए होलसिम की ६३.१९% और एसीसी में ५४.५३% की हिस्सेदारी है (जिसमें से ५०.०५% अंबुजा सीमेंट्‌स के जरिए है) । रेगुलेटरी अप्रूवल के बाद ये डील पूरी होगी । अंबुजा सीमेंट के लिए ओपन अॉफर प्राइस ३८५ रुपए प्रति शयर और एसीसी के लिए ये २३०० रुपए प्रति शयर है । होलसिम की अंबुजा सीमेंट में और एसीसी में स्टेक और ओपन अॉफर कंसीडरेशन की वैल्यू १०.५ अरब डॉलर है । होलसिम लिमिटेड के ष्टश्वह्र जॉन जेनिश ने कहा, ‘मुझ खुशी है कि अडानी ग्रुप ग्रोथ के नेक्सट एरा को लीड करने के लिए भारत में हमारे कारोबार का अधिग्रहण कर रहा है ।’
अंबुजा सीमेंट्‌स और एसीसी के पास वर्तमान में ७० रूञ्जक्कन् (मिलियन टन पर एनम) की कंबाइंड इंस्टॉल्ड प्रोडक्शन कैपेसिटी है । दोनों कंपनियां भारत में सबसे मजबूत ब्रांडों में से हैं, जिनके पास बेहतरीन मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन इंफ्रास्ट्रक्चर है । उनके २३ सीमेंट प्लांट, १४ ग्राइंडिंग स्टेशन्स, ८० रेडी-मिक्स कंक्रीट प्लांट और पूरे भारत में ५०,००० से ज्यादा चैनल पार्टनर हैं । वहीं आदित्य बिड़ला ग्रुप की अल्ट्रा टेक सीमेंट देश की सबसे बड़ी कंपनी है । इसकी सालाना क्षमता ११९ मिलियन मीट्रिक टन है । १९८८ में कमोडिटी ट्रेडिंग फर्म के तौर पर शुरू हुआ अडाणी समूह पोर्ट बिजनेस में उतरने के बाद राष्ट्रीय नक्श पर आया था । बीते कुछ साल में ग्रुप ने ग्रीन एनर्जी, मीडिया, अॉयल एंड गैस, माइनिंग, एयरपोर्ट अॉपरेशन, कंस्ट्रक्शन, फूड प्रोसेसिंग में अपने कदम बढ़ाए हैं । अडाणी ग्रुप पिछले साल अडाणी सीमेंट इंडस्ट्रीज के नाम से सीमेंट सेक्टर में दाखिल हुआ था । इस डील के बाद अडाणी ग्रुप भारत का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट मेकर बन जाएगा ।
अंबुजा सीमेंट की स्थापना १९८३ में नरोत्तम सेखसरिया और सुरेश नियोतिया ने की थी । इन दोनों ट्रेडर्स को सीमेंट या मैन्युफैक्चरिंग का बहुत कम नॉलेज था । लेकिन उनका अनुमान था कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए सीमेंट एक महत्वपूर्ण संसाधन होगा । ऐसे में उन्होंने गुजरात में एक अत्याधुनिक सीमेंट संयंत्र में निवेश किया और एक विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड बिल्ड किया । अंबुजा को क्वालिटी और स्ट्रेंथ दोनों में काफी अच्छा माना जाता है ।
एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनीज की शुरुआत १ अगस्त १९३६ को मुंबई से की गई थी । उस समय कई ग्रुप्स ने मिलकर इसकी नींव रखी थी । भारत के बिल्डिंग मटेरियल मार्केट में एसीसी लीडिंग प्लेयर्स में से एक है । इसके पोर्टफोलियो में सीमेंट, कंस्ट्रक्शन केमिकल्स, ड्राई मिक्स प्रोडक्ट्‌स और रेडी-मिक्स कंक्रीट शामिल हैं । कंपनी की विभिन्न मैन्युफैकचरिंग यूनिट्‌स को सेंट्रल टेक्नोलॉजी सपोर्ट सर्विसेज सेंटर की बैकिंग है । इंडियन सीमेंट इंडस्ट्री में केवल न्ष्टष्ट के पास ही ये सुविधा है ।
लाइमस्टोन का सबसे बड़ा यूजर होने के कारण न्ष्टष्ट के पास माइनिंग का भी अच्छा खासा एक्सपीरियंस है । न्ष्टष्ट डोमेस्टिक कोल इंडस्ट्री और इंडियन रेलवे के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है । ये देश के रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क सर्विसेज का भी बड़ा यूजर है । न्ष्टष्ट की ४ सब्सिडियरी कंपनियां हैं । न्ष्टष्ट मिनरल रिसोर्सेज लिमिटेड, बल्क सीमेंट कॉर्पोरेशन (इंडिया) लिमिटेड, लक्की मिनमेट और सिंघानिया मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड । ये सभी सब्सिडियरी कंपनियां न्ष्टष्ट के कोर बिजनेस को सपोर्ट करती है ।
स्विस कंपनी होलसिम की दुनिया के ६० देशों में मौजूदगी है । होलसिम के इंडियन अॉपरेशन्स ग्लोबल सीमेंट कैपेसिटी के २४% और सेल्स के २७% को रिप्रजेंट करता है । होलसिम का भारत में अपना कारोबार समेटने का फैसला थोड़ा चौंकाने वाला है । ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में अभी भी लाखों कच्चे और आधे-पक्के घर हैं । आने वाले सालों में यहां बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज देखने को मिलेगी ।
होलसिम ने २००५ में भारत आई थी । स्विस दिग्गज अब बिल्डिंग टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने के लिए सीमेंट के अपने कोर बिजनेस से दूर होने की कोशिश कर रहा है । होलसिम २०२५ तक सॉल्यूशन्स और प्रोडक्ट सेगमेंट में नेट सेल्स को ३०% पहुंचाना चाहता है । ये अभी १३% है । सॉल्यूशन्स और प्रोडक्ट सेगमेंट में रूफिंग और वॉटरप्रूफिंग से लेकर इन्सुलेशन और रिनोवेशन तक के बिजनेस शामिल है ।

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