ठाकोर सेना के नेता अल्पेश ठाकोर दो वर्ष के भीतर एक अच्छा स्थान कांग्रेस में छोड़ भाजपा में कार्यकर की हैसियत से जुड़ गया। मतलब साफ है कि कांग्रेस का पानी न पचने से अल्पेश ने यह कदम उठाया। व्यसन मुक्ति की पहल करके ठाकोर समाज के नेता बने अल्पेश भाजपा में शामिल हो गए जिससे क्या अब ठाकोर समाज को कोई फायदा होगा कि फिर भाजपा के चड़कय अमित शाह कुछ नया करने की रणनीति बना अल्पेश की अति महत्वकांक्षा के लिए भाजपा में अल्पेश को लेके आये है।
अल्पेश को उसकी सत्ता की लालशा ने सत्ता पलटने पर मजबूर किया।
व्यसन मुक्ति अभियान से अल्पेश ठाकोर ठाकोर समाज के नेता तो बन गए लेकिन सत्ता की लालशा अल्पेश को एक जगह टिकने नही देती ओर वह सत्ता बदलने को मजबूर हो जाता है। ठीक उसी तरह अल्पेश को कांग्रेसने अल्पेश को तमाम बड़े स्थान पार्टी में दिए लेकिन अल्पेश ठाकोर को वह स्थान हज़म नही हुए और पार्टी में बार बार बगावत करने लगे । अल्पेश को लगा कि भाजपा पार्टी उन्हें मंत्री बनाकर भाजपा कार्यालय का चौकीदार बनायेगी लेकिन आखिर अमित शाह ने अल्पेश के सपनों पर पानी डाल दिया और उन्हें भाजपा में एक कार्यक्रर की हैसियत से उन्हें पार्टी में जॉइंट कर लिया
अल्पेश ठाकोर के भाजपा में जुड़ने से समाज को कोई लाभ नही है।
उत्तर गुजरात की राजनीति में अपना स्थान रखने वाले ठाकोर समाज उनके इशारों पर पिछले चार साल से नाच रहा है। लेकिन अल्पेश का सत्ताधारी पक्ष भाजपा में आने से ठाकोर समाज को कोई लाभ नही है लेकिन इसमे अल्पेश ने सिर्फ अपना फायदा देख भजपा पार्टी का दामन थामा। दुसरो के शराब के अड्डे बंद करवाने निकले अल्पेश ने अपने गांव के शराब के ठेके बंद नही करवाये जिससे कह सकते है कि अल्पेश ने राजनीति में आने के लिए शराब बंदी का नाटक किया।
जुगल ठाकोर को राज्यसभा में भेज अमित शाह ने अल्पेश का कद समाज मे नीचा किया हो ऐसा प्रतीत होता है।
भाजपा के ‘चाड़कय’ अमित शाह ने राज्यसभा में ठाकोर समाज के युवा नेता जुगलजी ठाकोर को जिताकर अल्पेश के कद के छितडे-छितडे कर अल्पेश को कहि का नही छोड़ा। कहते है कि खेल के मैदान में रहकर दुश्मन को हराकर जितना असली खिलाड़ी वही होता है जिससे कह सकते है कि दुश्मन को अपने पक्ष में लेकर उसको ज्यादा कमजोर कर राजनीति में कांग्रेस के साथ साथ अल्पेश को भी बर्बाद कर दिया।
अल्पेश का कुढ़ता पकड़ने वाली गेनी बेन ने भी आखिरकार भाजपा तरफ मुँह कर ही लिया लेकिन अब देरी हो चुकी है।
अल्पेश ठाकोर की कांग्रेस की विधायक की यात्रा में ओर ठाकोर समाज की नेतानगरी में विधायक गेनिबेन का कह महत्वपुर्ण योगदान रहा । अल्पेश ठाकोर का भाजपा में जुड़ना अब उनके लिए देरी समान है क्योंकि अब कोई चुनाव नही है जिससे भाजपा में अब जनको कार्यकर्ता के तौर पर रहना होगा।
भाजपा के लिए अल्पेश ठाकोर उत्तर भारतीय के लिए हानिकारक रहा जिससे भाजपा को कहि न कही नुकशान हो सकता है।
जब से अल्पेश ने राजनीति का चोला पहना है तबसे ही अल्पेश परप्रांतीय को लेकर बार बार इशारा कर उन्हें कोशते रहते है। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार के लोगों की वजह से हमारे गुजराती लोगों को रोजगारी मिल नही पाती जिससे पिछली बार हिम्मत नगर में भड़काऊ भासड देने से एक हिंसा का माहौल बना दिया और उस हिंसा में लाखों उत्तर भारतीय गुजरात छोड़ अपने वतन पलायन हुए। लेकिन भाजपा के लिए अल्पेश ठाकोर उत्तर भारतीय के लिए हानिकारक रहा जिससे भाजपा को कहि न कही नुकशान हो सकता है।