Aapnu Gujarat
બ્લોગ

डाॆ. बाबासाहेब आम्बेडकर : बाबासाहेब के सर्वश्रेष्ठ विचार

महामानव भारतरत्न डाॆ. बाबासाहेब आम्बेडकर जी ने अपनी पूरी जिंदगी समाज के लिये लगा दी । आज पूरी दुनिया उन्हें गर्व से याद करती है । जिन परिस्थिति में उन्होने संघर्ष किया, दुसरा कोई भी नहीं कर पाता । उनके विचार हमेंशा बहुत आगे की उनकी सोच को दिखाते है । बाबासाहेब के कुछ श्रेष्ठ विचार यहॉं पब्लिश कर रहे है, जो आपको   एक सिमित सोच से बाहर सोचने के लिए मजबूर कर देंगे ।१. समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा ।२. में एसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता समानता और भाईचारा सिखाता है ।३. एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से अलग हैं क्योंकि वह समाज का सेवक बनने के लिए तैयार रहता है ।४. यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरूपयोग किया जा रहा है, तो मे इसे सबसे पले जलाऊॅगा ।५. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हाँसिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है ।६. जीवन लम्बा होने की बजाय महान होना चाहिए ।७. हम सबसे पहले और अंत में भारतीय है ।८. दिमाग का विकास मानव अस्तित्व का परम लक्ष्य होना चाहिए ।९. उदासीनता लोगो को प्रभावित करने वाली सबसे खराब किस्म की बिमारी है ।१०. एक सुरक्षित सेना एक सुरक्षित सीमा से बेहतर है ।११. पति-पत्नी के बीच का सम्बन्ध घनिष्ट मित्रो जैसा होना चाहिए ।१२. हिंदु धर्म में विवेक और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाईश नहीं है ।१३. मनुष्य नश्वर है ऐसे विचार होते है एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत है जैसे एक पौधे में पानी की जरूरत होती है अन्यथा दोनों मुरझा जायेंगे और मर जायेंगे ।१४. मैं एक समुदाय की प्रगति का माप महिलाओं द्वारा हाँसिल प्रगति की डिग्री द्वारा करता हूं ।१५. इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र में संघर्ष होता है वहां जीत हमेंशा अर्थशास्त्र की होती है । निहित स्वार्थो को स्वेच्छा से कभी नहीं छोडा गया है, जब तक कि पर्याप्त बल लगाकर मजबूर ना किया गया हो ।१६. दूसरे देश पर राज करने में फिट नहीं है ये भी स्वीकार करना चाहिये कि एक वर्ग पर राज करने में फिट नहीं है ।१७. लोग और उनके धर्म सामाजिक नैतिकता और आधार पर सामाजिक मान के द्वारा परखे जाने चाहिए, अगर धर्म को लोगो के भले के लिये आवश्यक वस्तु मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा ।१८. एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना काफी नहीं हे जिसकी आवश्यकता है वो हे राजनीतिक और सामाजिक अधिकारो के मह्तव, जरूरत व न्याय में पूर्णत्या गहराई से दोष ।१९. यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते है तो सभी धर्मो के धर्मग्रंथो की संप्रभुता का अंत होना चाहिए ।२०. राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को खारिज कर देता है । वो सरकार को खारिज कर देने वाले राजनीतीज्ञ से ज्यादा साहसी है ।२१. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए ।२२. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पडे तो दवा जरूर दी जानी चाहिए ।

सौजन्य :- गीता पब्लिकेशन

Related posts

EVENING TWEET

aapnugujarat

હવે ચીની કંપનીઓ સેક્સ ડોલ્સ ભાડે આપી રહી છે : એક રાત્રિનું ત્રણ હજાર સુધી ભાડુ

aapnugujarat

ભાજપ શું લોકસભા ચૂંટણીમાં એકલા હાથે સરકાર બનાવી લેશે….!!?

aapnugujarat

Leave a Comment

UA-96247877-1