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ओडिशा के बाद पंजाब में भी नहीं बनी बात, अकेले चुनाव लड़ेगी बीजेपी

ओडिशा के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पंजाब में भी गठबंधन पर बात नहीं बन पाई है. शिरोमणि अकाली दल के साथ उसका गठबंधन नहीं बन पाया है. यानी बीजेपी राज्य की सभी 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के साथ बीजेपी का गठबंधन नहीं होगा.

बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि नए फॉर्मूले के तहत बीजेपी के पांच और शिरोमणि अकाली दल के आठ लोकसभा सीटों पर लड़ने के प्रस्ताव पर सहमति बन गई है. हालांकि शिरोमणि अकाली दल के नेताओं का एक धड़ा इस बात की भी पैरवी कर रहा था कि पहले गठबंधन हो जाए और उसके बाद चुनाव के बाद सरकार बनने की स्थिति में पंजाब से जुड़ी मांगों को सरकार में रहते हुए ठोस तरीके से उठाया जाए.

दरअसल शिरोमणि अकाली दल की ओर से बीजेपी के सामने कई शर्तें रखी गई थीं. शर्तों में NSA कानून को खत्म करना, बंदी सिखों की रिहाई, अटारी बॉर्डर को व्यापार के लिए खोलना, किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए किसानों को MSP की खरीद की गारंटी देना, हरियाणा के लिए अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाकर SGPC के अधिकारों को तोड़ने का प्रयास रोकना शामिल थीं. शिरोमणि अकाली दल केंद्र सरकार और बीजेपी से इनपर कोई ठोस जवाब चाहता था. बता दें कि लोकसभा की 543 सीटों के लिए 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरण का चुनाव होना है. मतगणना चार जून को होगी.

पंजाब से पहले ओडिशा में भी बीजेपी का बीजेडी के साथ गठबंधन नहीं हो सका. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने इस बात की घोषणा एक्स पर की. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने एक्स पर जानकारी दी कि बीजेपी ओडिशा की सभी लोकसभा (21) और विधानसभा (147) विधानसभा अपने दम पर लड़ेगी.

सूत्रों का कहना है कि ओडिशा में बीजेडी के तरफ से वार्ताकार और रणनीतिकार ब्यूरोक्रेट टर्न्ड पॉलिटीशियन बीके पांडियन की शैली और महत्वकांक्षा के चलते ही बीजेपी से बातचीत सफल नहीं हो सकी.

बीजेपी सूत्रों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व ओडिशा में बीजेडी के साथ एलायंस के पक्ष था लेकिन बीजेपी आला नेतृत्व किसी भी सूरत में झुककर गठबंधन करता हुआ नहीं दिखना चाहता था. वैसे में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि विधानसभा चुनाव के लिए भले ही बीजेडी को वरीयता दी जाय लेकिन लोकसभा सीटों के बंटवारे में बीजेपी ज्यादा सीटों चुनाव लडने की व्यवस्था होनी चाहिए. वैसे बीजेपी की लोकल लीडरशिप इस गठबंधन के पक्ष में नहीं था, लेकिन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के प्रति पार्टी नेतृत्व का उदार व्यवहार के चलते गठबंधन की बातचीत हुई.

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