बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला करना चीन के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, बल्कि इसका फैसला तिब्बत की जनता करेगी। बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के उत्तराधिकारी के चयन में दखल न देने को लेकर चीन की भारत को चेतावनी के बीच धर्मगुरु ने यह पलटवार किया है। चीन की चेतावनी के बाद मैक्लोडगंज स्थित बौद्ध मंदिर और निर्वासित तिब्बत सरकार के लोगों में हलचल मची है। अनौपचारिक रूप से दलाईलामा दफ्तर और निर्वासित तिब्बत सरकार के पदाधिकारी चीन की प्रतिक्रिया की आलोचना कर रहे हैं। चीन की प्रतिक्रिया पर धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला न तो वह और न ही चीन कर सकता है। उनके उत्तराधिकारी का चयन चीन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उनके उत्तराधिकारी का फैसला सिर्फ तिब्बत की जनता करेगी।
धर्मगुरु ने कहा जब मैं 69 साल का था तो मैंने एक आधिकारिक बयान दिया था कि यह संस्थान आगे चलना चाहिए या नहीं, यह मैं तिब्बत की जनता पर छोड़ता हूं। दलाईलामा पदवी के भविष्य पर इसी वर्ष विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके लिए इस वर्ष हमारे उच्च लामा और निर्वासित तिब्बत सरकार के पदाधिकारी बैठकों में चर्चा करेंगे। मुझे लगता है कि वे इस संस्थान को आगे बढ़ाने का निर्णय लेंगे। दलाईलामा ने कहा कि यह मेरा विषय नहीं है। बौद्ध भिक्षु होने के नाते मेरी रोजमर्रा की जिंदगी लोगों के लिए समर्पित है। उधर निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये ने चीन की प्रतिक्रिया पर कोई कमेंट नहीं दिया। उत्तराधिकारी को लेकर चीन की इस प्रतिक्रिया पर धर्मगुरु दलाईलामा ही प्रतिक्रिया दे सकते हैं।