पीजी मेडिकल के डिग्री कोर्ष में इनसर्विस डॉक्टरो को २५ प्रतिशत सीटे आवंटित करने के राज्य सरकार के निर्णय को गुजरात हाईकोर्ट ने कायम रखा है । इस तरह हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार द्वारा इनसर्विस डॉक्टरो को डिग्री कोर्स में २५ प्रतिशत सीटे नहीं दिये जाने को लेकर जारी परिपत्र कायम रहा है । हालाकि इनसर्विस डॉक्टरो को डिप्लोमा की २५ प्रतिशत सीटे आवंटित किये जाने को हाईकोर्ट ने मान्य रखा है । इससे पहले सरकार के इस विवादित परिपत्र के विरुद्ध हाईकोर्ट के सिंगल जज की ओर से स्टे हाईकोर्ट ने हटा लिया है और पीजी मेडिकल में काउन्सेलींग प्रक्रिया शुरु करने सरकार को मंजुरी दे दी है । हालाकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पीजी मेडिकल में यदि कोई प्रवेश देगा तो वह इस मामले के आदेश के अधीन रहेगा । इस तराह हाईकोर्ट के फैसले से राज्य सरकार का निर्णय कायम रहा है । उल्लेखनिय है कि तीन साल तक सेवा देने वाले इनसर्विस डॉक्टरो के लिए राज्य सरकार द्वारा सन २००५ से हर वर्ष पीजी मेडिकल में डिग्री और डिप्लोमा में २५ प्रतिशत सीटे आवंटित की जाती थी । लेकिन इस वर्ष सरकार ने इसमें फेरफार करते हुए पीजी मेडिकल डिग्री कोर्स में २५ प्रतिशत सीटे आवंटित नहीं करते हुए गत सप्ताह एक परिपत्र जारी किया था । इस परिपत्र द्वारा किये गए निर्णय के विरुद्ध इनसर्विस डॉक्टरो की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी । उनकी ओर से कहा गया था कि सरकार द्वारा अचानक नीति बदलना किसी भी तरह योग्य नहीं है । खासकर जब अर्जीकर्ताओं ने तीन साल तक ग्रामीण और पिछडे विस्तारो को सर्विस दी है । ऐसे में उन्हे अब आगे पढाई करने के लिए पर्याप्त मौका मिलना चाहिए । सरकार द्वारा पीजी मेडिकल की प्रवेश कार्रवाई और काउन्सलींग शुरु होने के एक सप्ताह पहले ही अचानक नीति बदलने से इनसर्विस डॉक्टरो में नाराजगी फैल गई और इसके विरुद्ध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की । जिसमें इस केस में सिंगल जज ने सरकार के परिपत्र के विरुद्ध स्टे दे दिया । अपने परिपत्र पर स्टे दिये जाने कोर्ट के आदेश के कारण सरकार काउन्सेलींग की प्रक्रिया आगे नहीं बढा पा रही थी । वही दुसरी ओर सुप्रिम कोर्ट के आदेश के अनुसार ७ मई तक किसी भी परिस्थिति में काउन्सेलींग का राउन्ड पुरा करने को कहा गया था । इसे देखते हुए शुक्रवार को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष सिंगल जज का स्टे का आदेश वापस लेने की विनंती की थी । जिसमें खंडपीठ ने सरकार की विनंती मंजूर कर ली और काउन्सेलींग की प्रक्रिया शुरु करने की मंजूरी दे दी ।
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