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पार्टी ने चिंतन शिविर में गांधी परिवार के वजूद को बचाया : PK

प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के चिंतन शिविर को असफल करार दिया है । कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर से पार्टी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है । इस शिविर से कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार को वजूद बचाने का और वक्त मिल गया है । साथ ही प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की है ।
पीके ने ट्‌वीट करके कहा- मुझ बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया है, लेकिन मेरे हिसाब से उदयपुर चिंतन शिविर कोई भी सार्थक उद्देश्य पूरा करने में फेल रहा है । इस शिविर से सिर्फ कांग्रेस लीडरशिप को थोड़ा और समय मिल गया है, कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों तक के लिए । बता दे, क्क्य ने अप्रैल में कांग्रेस में जान फूंकने के लिए एक ६०० पन्नों का प्रेजेंटेशन दिया था ।
प्रेसिडेंट और वर्किंग कमेटी समेत हर पोस्ट के लिए कार्यकाल तय हो । १५ हजार जमीनी नेताओं के साथ १ करोड़ कार्यकर्ता मुस्तैदी से काम करें ।
देश के अलग अलग हिस्सों में करीब २०० प्रभावी लोगों, एक्टिविस्ट्‌स और सिविल सोसायटी के लोगों का ग्रुप बनाया जाए ।
कांग्रेस ने उदयपुर में ३ दिन तक चिंतन शिविर आयोजित किया था, जिसमें ४०० से ज्यादा शीर्ष नेता शामिल हुए थे । शिविर में कांग्रेस ने वन फैमिली-वन टिकट, संगठन में युवाओं को आरक्षण, देशभर में पदयात्रा निकालने जैसे कई अहम फैसले लिए थे । इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि हम फिर जनता के बीच जाएंगे, उससे अपने रिश्ते मजबूत करेंगे और ये काम शॉर्टकट से नहीं होगा । ये काम कड़ी मेहनत से होगा ।
गुजरात में विधानसभा की १८२ सीटें हैं । यहां भाजपा के पास १११ और कांग्रेस के पास केवल ६३ सीटें हैं । प्रदेश में २७ सालों से कांग्रेस सत्ता से दूर है । पिछले दिनों कांग्रेस के आदिवासी नेता रहे विधायक अश्विन कोतवाल और युवा नेता हार्दिक पटेल जैसे कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, जिसके बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं । गुजरात में चुनावी लड़ाई चेहरों पर लड़ी जाती है लेकिन कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है ।
हिमाचल प्रदेश में कुल ६८ विधानसभा सीटें हैं, जिसमें भाजपा के पास ४४ और कांग्रेस के पास केवल २१ सीटें हैं । प्रदेश की सियासत में विधानसभा चुनाव में १९८५ के बाद से कोई पार्टी अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है । एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी चुनाव जीतती आई है । २०१२ के बाद हिमाचल में कांग्रेस सत्ता से दूर है ।
राज्य में कांग्रेस ने प्रदेश में छह बार के सीएम रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी सांसद प्रतिभा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नया कार्ड खेला है, लेकिन पंजाब-हरियाणा की तरह यहां भी गुटबाजी कम नहीं है । कांग्रेस को इस बात पर ध्यान देना होगा कि पंजाब की परछाई हिमाचल पर न पड़े ।

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