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यूनिवर्सिटी को वैचारिक लड़ाई के लिए कुश्ती का मैदान ना बनाएं : Amit Shah

दिल्ली यूनिवर्सिटी के १०० साल पूरे होने पर १९ मई से २१ मई तक तीन दिन का इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया है । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसमें अतिथि थे । शाह ने कहा कि किसी भी यूनिवर्सिटी को वैचारिक लड़ाई के लिए कुश्ती का मैदान नहीं बनना चाहिए । बल्कि ये विचारों के आदान-प्रदान के लिए मंच है ।
शाह ने भारत की रक्षा नीति के बारे में भी बात की । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से पहले देश में कोई भी रक्षा नीति नहीं थी । अगर कोई रक्षा नीति थी भी तो वो विदेश नीति की छाया थी । साथ ही उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने दिखाया कि उनके लिए रक्षा नीति का क्या मतलब है ।
उन्होंने कहा कि पहले आतंकवादी हम पर हमला करने के लिए भेजे जाते थे । उरी और पुलवामा हमले में भी ऐसा करने कोशिश की गई थी । लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों से हमने दिखाया कि हमारे लिए रक्षा नीति का क्या मतलब है ।
स्वराज को लेकर शाह ने कहा कि स्वराज की कल्पना में स्व शब्द का बहुत महत्व है । राज का मतलब व्यवस्था लाने वाला है, इसका मतलब शासन नहीं है । स्वराज की व्याख्या करने वालों ने स्व शब्द की अहमियत घटा दी है और राज को व्यापक बना दिया । स्वराज की व्याख्या में स्वधर्म और हमारी संस्कृति अपने आप आ जाती है । स्वराज की संपूर्ण कल्पना ही न्यू इंडिया का विचार है । साथ ही कहा कि पीएम मोदी ने ५ अगस्त २०१९ को एक ही झटके में धारा ३७० को निरस्त कर दिया था । जो लोग कहते थे कि खून का नदियां बहेंगी, उनकी एक पत्थर फेंकने तक की हिम्मत नहीं हुई ।

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