मुंबई के एंटीलिया कांड में गिरफ्तार सचिन वाझे ने ईडी के सामने खुलासा करते हुए बताया कि 2020 में मुंबई में 10 डीसीपी के तबादले के आदेश को रुकवाने के लिए दो मंत्रियों ने 40 करोड़ रुपये लिए थे । सचिन वाझे ने बताया जुलाई 2020 में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने 10 डीसीपी के तबादले और पोस्टिंग को लेकर आदेश दिया था जिसे लेकर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख और कैबिनेट मंत्री अनिल परब खुश नहीं थे। इसलिए दोनों ने इस आदेश को वापस लेने के लिए कहा। सचिन वाझे ने बताया इस आदेश के तीन से चार दिन बाद ही कुछ पैसों के लेन-देन के बाद नया आदेश जारी किया गया था। वाझे को जानकारी मिली की उन पुलिस अधिकारियों से तबादला रुकवाने के लिए 40 करोड़ रुपये लिए गए थे। अनिल देशमुख ने 20 करोड़ रुपये अपने पर्सनल सेक्रेटरी संजीव पलांडे के माध्यम से जबकि अनिल परब ने 20 करोड़ की रकम आरटीओ अधिकारी बजरंग खरमाटे के हाथों लिए थे।
सचिन वाझे ने तबादले को लेकर दिए अपने बयान में कहा कि अनिल देशमुख ने 2 करोड़ रुपये मांगे थे। वाझे ने आरोप लगाते हुए बताया कि 5 जून 2020 को डिपार्टमेंटल रिव्यू कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में पपरमबीर सिंह, एडिशनल कमिश्नर एस जयकुमार, ज्वाइंट कमिश्नर एडिशन नवल बजाज और एक डीसीपी उपस्थित हुए थे। इस खास बैठक में कई अधिकारियों को पुलिस विभाग में वापस लेने का फैसला किया गया था। वाझे ने कहा इसके बाद मुझे 10 जून 2020 सीआईयू का प्रभारी बनाया गया। एनसीपी प्रमुख शरद पवान ने अपने सिल्वर ओक नाम के बंगले पर मुझे बुलाया उनकी बातों से लगा कि वो मेरी पुलिस विभाग में वापसी को लेकर वो ख़ुश नहीं थे। इसके बाद उन्होंने फिर से मुझे सस्पेंड करने का आदेश दिया। अनिल देशमुख ने 13 जून को मुझे फोन किया और कहा कि वह शरद पवार को मना लेंगे इसके बदले में उन्होंने मुझसे 2 करोड़ रुपये मांगे। वाझे ने कहा 16 जून 2020 को मैंनें सह्याद्रि गेस्ट हाउस पर अनिल देशमुख से मुलाकात की। देशमुख ने कहा कि उन्होंने शरद पवार को मना लिया और कहा कि हम दोनों मिलकर साथ में अच्छे-अच्छे केस पर कार्य करेंगे। अनिल देशमुख इसके बाद मुझसे कई मामलों जानकारी लिया करते थे।
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