गुजरात को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए श्रम मंत्रालय ने लंबे समय तक एक अभियान चलाकर छह माह में १३४ बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है । ये बाल श्रमिक चाय की दुकान, होटल व रेस्टोरेंट पर काम कर रहे थे । राज्य सरकार के श्रम व रोजगार विभाग ने अप्रैल से सितंबर २०१९ में बालश्रम के खिलाफ एक अभियान चलाया, जिसके तहत अहमदाबाद में चाय की दुकानों, रेस्टोरेंट व होटलों पर बड़ी संख्या में छापे मारकर १३४ बाल श्रमिक मुक्त कराए । विभाग के प्रधान सचिव विपुल मित्रा के मुताबिक, गुजरात में बालश्रमिक की बुराई को समाप्त करने के लिए विभाग हर साल छापा मारी करता है, इनमें चाय की दुकान, होटल, रेस्टोरेंट, जरदोशी व टेक्?सटाइल यूनिट शामिल होती हैं, जहां बालश्रमिकों के होने की सबसे अधिक संभावना होती है ।
बीते साल वर्ष २०१७-१८ में विभाग ने महज ८६ छापे मारे, जबकि वर्ष २०१८-१९ में विभाग की ओर से ८२२ छापे मारे गए, चालू वित्त वर्ष में पहली बार बड़ी संख्या में १३४ बालश्रमिकों को मुक्त कराया गया । मित्रा के मुताबिक, इनमें अधिकांश राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाडा, उदयपुर व गुजरात के आदिवासी इलाकों के बच्चे होते हैं । सरकार बीटी कॉटन के लिए राजस्थान से लाए जाने वाले बालश्रमिकों केलिए भी विशेष अभियान चलाकर इसे रोकनेका हर संभव प्रयास करती है । प्रदेश में बालश्रमिकों की बढ़ रही संख्या चिंता का विषय है । बालश्रमिकों में अधिकतर वे बच्चे होते हैं, जो घर से भाग जाते हैं । या फिर जिन्हें अगवा कर बेच दिया जाता है । गरीब परिवारों के बच्चों से भी बालश्रम करवाया जा रहा है । चाय की दुकान, होटल व रेस्टोरेंट पर इन बालश्रमिकों से खूब काम लिया जाता है, बदले में इन्हें नाममात्र का मेहननाता दिया जाता है । जोकि इनके भरण-पोषण के लिए नाकाफी है । ऐसे में इनका स्वास्थ्य भी खराब रहता है । ये न तो पढ़ पाते हैं और न ही इनका शारीरिक विकास हो पाता है ।
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