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ओडिशा में भाजपा-BJD के बीच गठबंधन पर बातचीत फेल

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत फेल हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने शुक्रवार (8 मार्च) को दिल्ली से भुवनेश्वर लौटने के बाद कहा कि हमारी पार्टी राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी। किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन या सीट बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है।

सामल ने कहा- हम चुनावों के लिए अपनी तैयारियों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलने गए थे। भाजपा ओडिशा में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त है। पार्टी दोनों चुनाव अपने बल पर लड़ेगी।

भाजपा और BJD के बीच गठबंधन को लेकर गुरुवार (7 मार्च) को अटकलें शुरू हुई थीं। दरअसल, BJD नेता वीके पांडियन और प्रणब प्रकाश दास 7 मार्च को भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मिलने एक चार्टर्ड विमान से दिल्ली गए थे। हालांकि, दिल्ली से लौटने के बाद BJD नेताओं ने चुप्पी साधी रही।

BJD और BJP को एक-दूसरे की मांग मंजूर नहीं
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि BJD और भाजपा के बीच गठबंधन की बातचीत सीट बंटवारे पर अटक गई है। BJD ने विधानसभा की 147 सीटों में से 112, लगभग 75% सीटों की मांग की थी, लेकिन भाजपा को यह मंजूर नहीं था। वर्तमान में, विधानसभा में BJD के 114 सदस्य हैं।

इसके उलट भाजपा ने राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें मांगी थीं, जिसे BJD ने खारिज कर दिया। BJD ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 12 सीटें जीती थीं, जबकि BJP ने 8 सीटें जीती थीं। BJD के एक सीनियर नेता ने कहा कि 10 से कम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना हमारे लिए आत्मघाती होगा।

2009 में BJD-भाजपा का 11 साल का गठबंधन टूटा था
1998 में जनता दल विभाजित होने के बाद नवीन पटनायक ने अपनी पार्टी, बीजू जनता दल बनाई थी। वे वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में शामिल हो गए। उन्हें इस्पात और खान मंत्री बनाया गया। भाजपा और BJD साल 1998 से 2009 के बीच गठबंधन में रही थीं।

दोनों पार्टियां तीन लोकसभा चुनाव- 1998, 1999 और 2004 और दो विधानसभा चुनाव- 2000 और 2004 में एक साथ उतरी थीं। उस समय BJD पार्टी NDA की सबसे भरोसेमंद पार्टी मानी जाती थी।

हालांकि, 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी। इसके कारण करीब 11 साल का गठबंधन टूट गया था। BJD चाहती थी कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 163 सीटों में से 40 पर चुनाव लड़े, जबकि भाजपा 63 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी।

वहीं, लोकसभा के लिए भी BJD भाजपा को 21 में से 6 सीटें देना चाहती थी, जबकि भाजपा 9 सीटें चाहती थी। गठबंधन टूटने के बाद भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि नवीन पटनायक को यह गठबंधन तोड़ना काफी भारी पड़ेगा।

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