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भारत सहयोगी ही नहीं, बड़ी शक्ति होगा : अमेरिका

अमेरिका ने कहा है कि भारत केवल अमेरिका का सहयोगी नहीं, बल्कि एक बड़ी ताकत होगा। व्हाइट हाउस एशिया के को-ऑर्डिनेटर कर्ट कैंपबेल ने गुरुवार को कहा- पिछले 20 साल में भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में न केवल तेजी आई, बल्कि रिश्ते भी बेहद मजबूत ‌हुए हैं।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध केवल चीन को लेकर चिंता के कारण नहीं बने हैं, बल्कि हमारे समाजों के बीच महत्वपूर्ण तालमेल पर आधारित हैं। भारत की तुलना में अन्य किसी देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों में इतनी मजबूत नहीं हुई है।

कैंपबेल ने कहा कि अमेरिका को तकनीक और अन्य मुद्दों पर एक साथ काम करते हुए अपनी क्षमता का और भी ज्यादा निवेश करने और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है। भारत की अपनी अलग रणनीतिक पहचान है। भारत स्वतंत्र, ताकतवर राष्ट्र बनने की क्षमता रखता है। वह एक और बड़ी ताकत बनेगा।

कैंपबेल ने कहा कि हमें अंतरिक्ष, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन या फिर तकनीक के मुद्दे पर एक साथ काम करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने माना कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके प्रशासन ने जब क्वाड को लीडर के लेवल पर ले जाने का फैसला किया तो भारत का नजरिया अस्पष्ट था।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के भाषणों को हिंदी और दूसरी एशियाई भाषाओं में ट्रांसलेट करने की मांग की जा रही है। प्रेजिडेंशियल कमिशन ने राष्ट्रपति कार्यालय के सामने अपने विचार रखे हैं। जिनमें कहा है कि अमेरिका की राजनीति में लगातार एशियाई मूल के लोगों की भूमिका बढ़ रही है।

ऐसे में राष्ट्रपति के भाषण उनकी भाषाओं में मौजूद होने चाहिए। फिलहाल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के भाषण केवल अंग्रेजी में होते हैं। जिसके चलते उनके संदेश 2 करोड़ से ज्यादा लोगों तक उनकी मूल भाषा में नहीं पहुंच पाता है। राष्ट्रपति के एडवाइजरी कमिशन के सामने यह प्रस्ताव अमेरिकी- भारतीय कम्युनिटी के नेता अजय जैन भुटोरिया ने रखा था। जिसे कमिशन ने स्वीकार कर लिया।

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