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ऑटोमोबाइल समेत के सेक्टर्स में नहीं मिल रहीं नई नौकरियां

भारत में बेरोजगारी की दर ४५ सालों के सबसे खराब दौर में है । इस दौरान लगभग हर सेक्टर में हायरिंग काफी कम है और स्लोडाउन की स्थिति दिख रही है । केयर रेटिंग्स लिमिटेड की एक स्टडी के मुताबिक बैंकों, इंश्योरेंस कंपनियों, ऑटो मेकर्स, लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में हायरिंग सबसे कम है । इस साल मार्च में खत्म हुए फाइनैंशल इयर की १,००० कंपनियों की रिपोर्ट के आकलन के बाद यह बात कही गई है । ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच सर्विस सेक्टर एक ऐसा स्थान है, जहां सबसे ज्यादा उम्मीदें दिखती हैं ।
जॉब ग्रोथ की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा अवसर देखने को मिले हैं । मार्च तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ ५ साल के सबसे निचले स्तर पर रही है और अब हायरिंग में कमी से साफ है कि देश आर्थिक संकट के दौर में है । भारत को आकर्षक निवेश डेस्टिनेशन के तौर पर पेश करने के पीएम मोदी के प्लान को भी इससे झटका लग सकता है । इसके अलावा जॉब का संकट गहराने से सामाजिक तनाव में भी इजाफा हो सकता है । केयर रेटिंग्स के मुताबिक मार्च २०१७ में रोजगार में वृद्धि ५४ लाख की थी, जो मार्च २०१८ में ५७ लाख के करीब पहुंच गई, यह ६.२ पसेर्ंट का इजाफा था ।
इस साल मार्च में यह आंकड़ा ६० लाख का ही रहा और जॉब ग्रोथ महज ४.३ पसेर्ंट ही रही । केयर रेटिंग्स की मानें तो हॉस्पिटैलिटी यानी सर्विस सेक्टर में हायरिंग और आउटसोर्सिंग में इजाफा हुआ है । लेकिन, माइनिंग, स्टील और आयरन जैसी दिग्गज कंपनियों में एंप्लॉयीज की संख्या में कमी आई है । इसकी वजह उत्पादन में कमी और कंपनियों के बैंकरप्ट होने जैसे मामले हैं ।

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