अपमानितोऽपि कुलजो न वदति पुरुषं स्वभावदाक्षिण्यात्।
नहि मलयचन्दनतरु: परशुप्रहत: स्रवेत् पूयम्॥
कुल्हाड़ी से हमला होने के बावजूद, मलय पहाड़ पर चंदन के पेड़ से कोई कचडा नहीं आ सकता, वेसे अपमान होने प२ भी कुलीन ईन्सान अपनी सज्जनता छोडके अपशब्द नहीं बोलते