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गुजरात

रूपानी की विदाई तय..?

झारखंड का विधानसभा चुनाव देश के चुनाव आयोग द्वारा घोषित कर दिया गया है। इससे पहले, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा को इस चुनाव में सरकार बनाने के लिए नई पार्टीओ का समर्थन हासिल करना पड़ा, जिसके पिता और दादा भ्रष्टाचार के मामलों में 10 साल की जेल की सजा काट रहे है।
गुजरात में भी 6 सीटों पर उपचुनाव हुए और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की संवेदनशील सरकार की संवेदनशीलता को देखते हुए मतदाताओं ने कांग्रेस को 3 और भाजपा को 3 सीटें देकर भाजपा नेतृत्व को संदेश दिया कि रूपानी गुजरात के नाथ नहीं हो सकते। अटकलें ऐसी लग रही है की केंद्र से पाटीदार मंत्री को मुख्यमंत्री बनाकर सत्ता सौंपना संभव है, एक तीर से दो निशान ताकने जैसी बात है। अटकले ऐसी है की..! नए मुख्यमंत्री पतंग महोत्सव में पतंग उड़ाने की संभावना है।
राजनीतिक रूप से देखे तो, भाजपा ने कांग्रस की की राधनपुर और बायद सीटों को पर हार कर फिर से अमित चावड़ा को भेट कर दी है, इसका बहुत बड़ा इफेक्ट हुआ है। गुजरात में जैसे कांग्रेस को नई शक्ति मिली गई है और अमित चावड़ा के जान में जान आ गई है, भाजपा ने वो आजीविका प्रदान की है, यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा संकेत है। रूपानी भाजपा की वर्षों पुरानी थराद सीट को भी नहीं बचा सके और रूपानी के कारण कांग्रेस को एक नहीं बल्कि 3 सीटें देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नाराज करने का काम किया। भले ही भाजपा अब लाखों की कोशिश करे, लेकिन कांग्रेस का कोई भी विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का नहीं सोचेगा।
मोदी ने लोकसभा की सभी 26 सीटें जीतींकर दिखाया, लेकिन सरकार के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री रुपानी पाँच सीटें भी नहीं बचा सके। २०२२ में गुजरात राज्य मे फिर से बहुमत हासिल करने के लिए रूपानी के की जगह केंद्र से पाटीदार मंत्री को जिम्मेदारी सौंपनी होगी और जब पाटीदार समाज से कोई मुख्यमंत्री होगा, तो कोई भी पाटीदार उपमुख्यमंत्री रखने के लिए मजबूर नहीं होगा…! सरकार को देखने वालों का कहना है कि वर्तमान उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पाटीदार हैं और मुख्यमंत्री न बनाने की बात कभी-कभी उनके दिमाग में होती है। अगर पाटीदार सीएम हैं तो उपमुख्यमंत्री के रूप में नितिन पटेल को स्वतः हटा दिया जाएगा। एक पंथ करो। पाटीदार समाज के मुख्यमंत्री बनाने पर पाटीदार समाज अगले चुनावों में भाजपा को कोई राजनीतिक नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जो पिछली बार हुआ था और नितिन पटेल को भी उप-मुख्यमंत्री बनने की जरूरत नहीं है….!
केंद्र के इस पाटीदार मंत्री के गुजरात दौरे बढे है। और आने वाले दिनों में और अधिक यात्राओं के साथ, अप्रत्यक्ष संदेश से कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जाएगा कि नेतृत्व गुजरात में बदलने जा रहा है।
भाजपा के कुछ नेता जो लगातार गुजरात के राजनीतिक रुझानों पर नजर रख रहे हैं, भाजपा के आंतरिक और बाहरी मामलों में नजर रख रहे हैं उनकी रे यह है कि अगर सीएम के तौर पर रूपानी को जारी रखा जाता है, तो पिछली बार काफी मशकत के बाद और मोदी की महेनत से 99 सीटें जीती थीं। जब मोदी अब भारत को अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, तब मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा हार गई, तो वे चुनाव की तैयारी में गुजरात पर ध्यान नहीं दे सके। मोदी हर चुनाव में गुजरात में कितना आगे आए हैं – मैं आपका हूँ! गुजरात के मुख्यमंत्री रुपानी राष्ट्रभाषा को भी अच्छी तरह नहीं बोल सकते. जब रूपानी 5 सीटो को भी गुजरात में नहीं बचा पाए तब केंद्र में उनके साथ काम करके और पाटीदार मंत्री के लिए अपने इशारों को समजने को बोलने के लिए मजबूर किया गया है। भाजपा का नेतृत्व एक पत्थर पर अपने पक्षियों को मारने के मूड में लग रहा है।

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