दुनिया की 2 आर्थिक शक्तियों अमरीका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर को भुनाने के लिए भारत ने कमर कस ली है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ट्रेड वॉर के बीच चीन से बाहर निकलने का मन बना रही कंपनीओ को लुभाने के लिए इंसैंटिव की पेशकश करने की संभावनाएं तलाश रहा है। भारत कम्पनियों को प्रैफरैंशियल टैक्स रेट्स और टैक्स हॉलीडेज जैसे फाइनैंशियल इंसैंटिव देने जैसे कदम उठाने पर विचार कर रहा है। कम्पनियों को लुभाने के लिए ऐसी ही पहल वियतनाम भी कर चुका है। ट्रेड मिनिस्ट्री के एक डॉक्यूमैंट के मुताबिक इसके लिए इलैक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर अप्लायंसेज, इलैक्ट्रिक व्हीकल्स, फुटवियर और ट्वॉयज सहित कई इंडस्ट्रीज की पहचान की गई है।
वियतनाम और मलेशिया जैसे देश टैरिफ कम करके कंपनीओ को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारत अभी तक इससे फायदा उठाने में नाकाम रहा है। ट्रेड मिनिस्ट्री इसके माध्यम से भारत की आयात पर निर्भरता कम करना और निर्यात बढ़ाना चाहती है। इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी का इंतजार है। इस संबंध में भेजे गए ई-मेल पर ट्रेड मिनिस्ट्री से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
ट्रेड मिनिस्ट्री के स्टैकहोल्डर्स के बीच वितरित डॉक्यूमैंट के मुताबिक अन्य प्रयासों में भारत के तटीय क्षेत्रों में अफोर्डेबल इंडस्ट्रियल जोन्स की स्थापना और सरकारी खरीद में लोकल मैन्युफैक्चरर्स को प्रोत्साहन देना शामिल है, जिससे वैकल्पिक प्रोडक्शन बेस की स्थापना पर विचार कर रही कम्पनियों को इंसैंटिव दिए जा सकें। इस प्लान से भारत के मैन्युफैक्चरिंग बेस को बढ़ाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी वाले फ्लैगशिप प्रोग्राम ‘मेक इन इंडिया’ को बूस्ट देने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य 2020 तक इकोनॉमी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना है। इससे भारत को चीन की तुलना में अपने भरी ट्रेड डैफिसिट को पाटने में मदद मिलेगी, जो देश का सबसे बड़ा कमर्शियल पार्टनर है।
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