दुनियाभर के बैकों में चल रहे संकट को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांता दास ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। दास ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर को चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘वे अपनी बैलेंसशीट के संतुलन पर ध्यान दें, ताकि एसेट-लायबिलिटी का संतुलन न गड़बड़ाए।’
एक सार्वजनिक समारोह में RBI गवर्नर ने कहा कि, ‘बैलेंसशीट के असंतुलन की वजह से ही अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में संकट आया है। बता दें कि अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर क्राइसिस थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद अब फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर भी बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। हालांकि, फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को डूबने से बचाने के लिए अमेरिका के 11 बैंक आगे आए हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी इकोनॉमी के लिए बड़ा खतरा
RBI गवर्नर शक्तिकांता दास प्राइवेट डिजिटल करेंसीज के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ‘अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में आया संकट ये दिखाता है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी, इकोनॉमी के लिए कितना बड़ा खतरा पैदा कर देती हैं।’
महंगाई का सबसे बुरा दौर बीत चुका
RBI गवर्नर ने कहा कि, ‘घरेलू फाइनेंशियल सेक्टर स्थिर है और महंगाई का सबसे बुरा दौर बीत चुका है। ने कहा, ‘हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि बाहरी देशों से लिया गया कर्ज मैनेजेबल है और इस वजह से डॉलर में आई मजबूती से हमारे लिए कोई खतरा नहीं है।’
डॉलर में आई मजबूती से प्रभावित देशों की मदद करें
RBI गवर्नर दास का भारत की G20 अध्यक्षता पर फोकस रहा। उन्होंने कहा कि, ‘दुनिया की इन 20 सबसे बड़ी इकोनॉमीज को साथ मिलकर उन देशों की मदद करनी चाहिए, जिन पर US डॉलर में आई मजबूती का बुरा असर पड़ा है।’ उन्होंने कहा कि, ‘क्लाइमेट चेंज फाइनेंसिंग के लिए भी हमें साथ आकर, सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की युद्धस्तर पर मदद करनी चाहिए।’
भारतीय बैंकों पर अमेरिकी बैंकिंग संकट का असर नहीं
अमेरिका के दो बड़े बैंकों के दिवालिया होने का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने ऐसा भरोसा जताया है। इनका कहना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।
कुछ महीनों से भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जेफरीज के मुताबिक, अधिकांश भारतीय बैंकों ने 22-28% ही सिक्योरिटीज में निवेश किया है। बैंकों के सिक्योरिटीज निवेश में 80% हिस्सेदारी सरकारी बॉन्ड की है। अधिकांश बैंक इनमें से 72-78% मैच्योरिटी तक रखते हैं। इसका मतलब है कि इनकी कीमतों में गिरावट का असर इस निवेश पर नहीं होगा।