केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि सब्सिडी के खात्मे के बावजूद हज यात्रियों पर आर्थिक बोझ ना पड़ना इस बात का प्रमाण है कि दशकों से हज सब्सिडी के बल पर सियासी छल चल रहा था । उन्होंने यहां हज-२०२२ के लिए हज समन्वयकों, हज सहायकों के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करने के दौरान यह भी कहा कि मोदी सरकार ने “सब्सिडी के सियासी छल” को ईमानदारी के बल से खत्म किया है ।
नकवी ने कहा कि हज २०२२ के लिए हज कमेटी के माध्यम से हज यात्री १० इम्बार्केशन पॉइंट्स (प्रस्थान स्थलों)- अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोच्चि, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और श्रीनगर से जाएंगे । उन्होंने बताया कि भारत से हज के लिए उड़ान चार जून से शुरू हो रही हैं ।
नकवी ने कहा कि मोदी सरकार में संपूर्ण हज प्रक्रिया में किये गए महत्वपूर्ण सुधारों से जहां एक तरफ हज प्रक्रिया पारदर्शी हुई है, वहीँ दूसरी ओर दो वर्षों के बाद हज पर जा रहे हज यात्रियों पर गैर-जरुरी आर्थिक बोझ ना पड़े इसकी व्यवस्था की गई है । उनके मुताबिक, संपूर्ण हज प्रक्रिया के शत-प्रतिशत डिजिटल होने से भारतीय मुसलमानों के “इज़ अॉफ डूइंग हज” (हज करने में सुगमता) का सपना साकार हुआ है । डिजिटल हज, “डिजिटल इंडिया” के सर्वश्रष्ठ उदाहरणों में से एक है ।
नकवी ने कहा कि लोगों की सेहत, सुरक्षा, सलामती को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए महत्वपूर्ण सुधारों के साथ हज २०२२ हो रहा है । हज २०२२ की संपूर्ण प्रक्रिया भारत सरकार और सऊदी अरब की सरकार द्वारा तय किये गए पात्रता, आयु, स्वास्थ्य मानदंडों एवं अन्य जरुरी कोरोना दिशार्निदेशों के अनुसार की गई है । उन्होंने बताया कि इस साल भारत से ७९,२३७ मुसलमान हज २०२२ पर जाएंगें । इनमें लगभग ५० प्रतिशत महिलाएं हैं । इनमें ५६ हजार ६०१ हज यात्री, भारतीय हज कमेटी और २२,६३६ हज यात्री, ‘हज ग्रुप अॉर्गनाइजर्स’ (एचजीओ) के माध्यम से जाएंगें । बिना “मेहरम” (पुरुष रिश्तेदार) के लगभग २००० मुस्लिम महिलाएं हज २०२२ पर जाएंगी । इन्हें लॉटरी सिस्टम से बाहर रखा गया है । कोरोना के कारण सऊदी अरब सरकार की ओर से तय दिशार्निदेशों चलते पिछले दो वर्षों में भारतीय नागरिक हज यात्रा पर नहीं जा सके थे ।