PM नरेंद्र मोदी 2000 के नोट को बाजार में लाने के लिए पक्ष में नहीं थे, लेकिन चूंकि नोटबंदी सीमित समय में की जानी थी, इसलिए उन्होंने इच्छा नहीं होने पर भी सहमति दे दी थी। मोदी ने दो हजार के नोट को गरीबों का नोट नहीं माना था। उन्होंने इस नोट को बड़ा खतरा बताते हुए कहा था कि इससे जमाखोरी बढ़ेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय में उस समय तैनात प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने यह जानकारी दी।
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी हुई थी। मिश्रा खुद भी नोटबंदी की प्रक्रिया में शामिल थे।
मिश्रा ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास नोटों की छपाई के लिए उस वक्त उतनी प्रिंटिंग क्षमता नहीं थी कि वो नोटबंदी के समय बाजार की मांग को पूरा कर सके। इसके लिए 2000 के नोट लाने का फैसला किया गया, लेकिन पीएम इसके लिए राजी नहीं थे। उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए मोदी ने इसकी अनुमति दे दी थी।
2018-19 में दो हजार रुपए के नोटों की छपाई पर रोक लगी
मिश्रा ने कहा कि नोटबंदी के बाद सलाह दी गई कि 2000 रुपए का नोट चलन में लाया जाए, जो मोदी को पसंद नहीं आया। मोदी ने कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग 2,000 रुपए के नोटों का उपयोग नहीं करता है। ये वर्ग 500 और 100 रुपए जैसे छोटे नोटों का उपयोग करता हैं। मोदी नहीं चाहते थे कि गरीब प्रभावित हों।
उन्होंने आगे कहा, दो हजार रुपए के नोटों को वापस लेना प्रधानमंत्री की मॉड्यूलर बिल्डिंग एप्रोच को दर्शाता है। इसकी शुरुआत 2018-19 में दो हजार रुपए के नोटों की छपाई पर रोक के साथ हुई। इसके बाद यह धीरे-धीरे चलन से बाहर होता गया और अब 30 सितंबर, 2023 को यह पूरी तरह प्रचलन से बाहर हो जाएगा।
RBI ने 2000 के नोट वापस लेने का ऐलान किया है
RBI 19 मई को 2,000 रुपए के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की है। इसे 30 सितंबर तक बैंकों में जाकर जमा करने के अलावा बदला भी जा सकता है। एक बार में सिर्फ 10 नोट ही बदले जाएंगे।
RBIके गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी सोमवार को कहा कि 2,000 रुपए के नोट को चलन से वापस लेने का इकॉनॉमी पर बहुत कम असर पड़ेगा। क्योंकि ये नोट चलन में मौजूद कुल नोटों का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही हैं।
उन्होंने कहा कि 30 सितंबर तक 2000 के अधिकांश नोट वापस आ जाने की उम्मीद है। हालांकि उसके बाद भी यह वेलिड नोट बना रहेगा।
2 हजार रुपए के नोटों को लाने का उद्देश्य पूरा
RBI ने बताया था कि दो हजार रुपए के नोट को RBI एक्ट 1934 के तहत लाया गया था। पुराने 500 और 1000 रुपए को नोटों के बंद होने के बाद करेंसी रिक्वायरमेंट के चलते इन नोटों को लाया गया था। जब 500, 200 और 100 सहित छोटे नोट पर्याप्त मात्रा में बाजार में आ गए, तो 2000 रुपए के नोटों को लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया।