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देश के शहरों से हटेगा १३० करोड़ टन कचरे का बोझ

देश के हर चमकते शहर के सिर पर पल रहे कचरे के पहाड़ के बोझ को उतारने की योजना बनाई गई है । देशभर के शहरों में ३,००० से ज्यादा डंपिंग ग्राउंड से १३० करोड़ टन कचरे को हमेशा के लिए साफ कर इस जमीन को शहर के लिए फिर से मुहैया कराया जाएगा ।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने को देश को मुक्त भारत बनाने की रूपरेखा पेश की । सरकार ने इन डंपिंग ग्राउंडों को स्वच्छ व उपचारित करने के लिए १,४१,६०० करोड़ रुपये आवंटित किए हैं । स्वतंत्र भारत में स्वच्छता कार्यक्रम के तहत यह सबसे बड़ा निवेश है ।
सीएसई ने शहरों को कचरा मुक्त करने के लिए तीन दस्तावेज पेश किए । इनमें स्वच्छ भारत मिशन २.० का समर्थन करने के लिए विरासती कचरा प्रबंधन, डंपसाइट उपचार टूलकिट और शहरों की ठोस कचरा कार्ययोजना पेश की गई है । विरासती कचरे पर सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, यह शब्द (लैगेसी वेस्ट या विरासती कचरा) स्वच्छ भारत अभियान २.० के चलते चर्चा में आया है, जिसके मुताबिक यह तय किया गया है कि भारत के शहरों के सभी पुराने डंपिंग ग्रांउंड साफ होने चाहिए ।
इसके साथ ही डंपिंग ग्राउंड की जमीन उपयोगी बनाने और वहां फिर से कचरा जमा नहीं होने का प्रबंध करना होगा । उन्होंने कहा कि इस कचरे को खत्म करना और डंपिंग ग्राउंडों को साफ कर उपयोगी बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है । सीएसई की तरफ से योजना पेश करने के दौरान आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा ने बताया कि मंत्रालय ने कई परियोजनाएं व योजनाएं शुरू की हैं, जिनके तहत शहरी प्रशासन को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे देश को कचरा मुक्त बनाने की पहल में शामिल हों ।
वहीं, सीएसई के ठोस कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के निदेशक अतिन बिस्वास ने कहा, विरासती कचरे की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, न इसका कोई पैमाना है, जिससे यह तय किया जाए कि कितना पुराना और किस तरह का कचरा विरासती कचरा माना जाए । मोटे तौर पर शहरों के ऐसे डंपिंग ग्राउंड विरासती कचरे की श्रणी में आते हैं, जहां हर तरह का कचरा स्थायी तौर पर छोड़ दिया जाता है ।

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