पाकिस्तान की स्वात घाटी पर एक बार फिर तालिबान ने करीब-करीब कब्जा कर लिया है । स्वात वही जगह है, जहां ९ अक्टूबर २०१२ को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर हमला किया गया था ।
‘पाकिस्तान मिलिट्री मॉनिटर’ की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान तालिबान ने बहुत तेजी से स्वात में कदम जमाए हैं । ये आतंकी संगठन बहुत जल्द इस खूबसूरत घाटी में अपने टेरेरिस्ट कैम्प बना सकते हैं । स्वात घाटी खैबर पख्तूनख्वा राज्य में आती है । यहां पिछले साल नवंबर तक इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार थी । खान की पार्टी ने यहां लगातार १० साल से ज्यादा हुकूमत की । पिछले साल अक्टूबर और नवंबर के दौरान १०० से ज्यादा तालिबान आतंकियों को रिहा किया गया था । इतना ही नहीं उनसे बातचीत भी की गई थी । बाद में ये नाकाम हो गई और तालिबान ने फिर हमले शुरू कर दिए । इस राज्य की सीमा अफगानिस्तान से लगती है । रिपोर्ट के मुताबिक- स्वात में अफगान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान मिलकर हमले कर रहे हैं । इससे भी ज्यादा परेशानी की बात यह है कि खैबर पख्तूनख्वा में ही पाकिस्तानी फौज तालिबान के खिलाफ अॉपरेशन चला रही है और सबसे ज्यादा नुकसान भी उसे ही हो रहा है । १६ दिन में पाकिस्तानी फौज के २१ सैनिक मारे जा चुके हैं । इसके अलावा ८ टीचर्स की भी हत्या हुई है । फौज की नाकामी और आतंकी हमलों की वजह से यहां के लोगों में डर का माहौल है । रविवार को ही आतंकी हमले में एक पुलिस अफसर और कुछ आम लोगों की मौत हुई है । सरकार ने इसकी पुष्टि तक नहीं की ।
रिपोर्ट के मुताबिक- तालिबान आतंकी इस खूबसूरत घाटी को तबाह करके उसे रेगिस्तान में तब्दील कर सकते हैं । आतंकियों के लिए यह जगह काफी मुफीद है, क्योंकि ये पहाड़ी इलाका है और इन पर से नीचे हमला किया जा सकता है । १५ साल पहले तालिबान के मुल्ला फजल-उल्लाह ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया था । यहां के लोगों को वो दौर आज भी याद है । बाद में अमेरिका की मदद से पाकिस्तान ने स्वात को तालिबान के कब्जे से छुड़ाया था । स्वात घाटी मिंगोरा सिटी के काफी करीब है । तालिबानी अपने दुश्मनों के सिर मिंगोरा के चौराहों पर लटकाते रहे हैं । यहां के ६४० स्कूलों को तालिबान ने जमींदोज कर चुका है । इसके अलावा रेडियो और एंटरटेनमेंट के दूसरे साधनों पर भी सख्ती से रोक है । इस आदेश को न मानने वालों को ईशनिंदा का आरोपी करार दिया जाता है । यहां के हजारों लोग अपने घर छोड़कर पाकिस्तान की दूसरी जगहों पर जा चुके हैं ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- तालिबान यहां टारगेट किलिंग्स में शामिल हैं । इसके अलवा वो फोन पर धमकी देकर कारोबारियों से जबरिया उगाही भी करते हैं । कई मामलों में कत्ल और किडनैपिंग की घटनाएं भी सामने आई हैं । इन तमाम चीजों के बावजूद पाकिस्तानी फौज और सरकार अब तालिबान के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं । यहां के लोग घर छोड़कर स्वाबी, मरदान, चारसड्डा और पेशावर भाग रहे हैं । अक्टूबर २०२२ से स्वात ही नहीं, पूरे खैबर पख्तूनख्वा में तालिबान का दबदबा बढ़ रहा है । दो महीने पहले तालिबान के खिलाफ अॉपरेशन की तैयारी कर रहे ISI के दो अफसरों को उनके होटल की लॉबी में मार गिराया गया था । इसके बाद काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट के एक अफसर को उसके दफ्तर में ही ढेर किया गया था ।