आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद (JEM) के सरगना को लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने बुधवार को पाकिस्तान के इस आरोप को खारिज कर दिया कि अजहर उनके देश में छिपा है। एक दिन पहले यानी मंगलवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से अजहर को पाकिस्तान को सौंपने को कहा था।
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि JEM सरगना पाकिस्तान में कई हमलों का आरोपी है। वो कंधार विमान अपहरण कांड का भी मुख्य आरोपी है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए अजहर का मुद्दा उठा रहा है। भारत सरकार ने कई बार कहा है कि अजहर पाकिस्तान में ही मौजूद है।
मंगलवार को पाकिस्तान सरकार ने तालिबान हुकूमत को एक लेटर लिखकर कहा था कि अजहर नांगरहार या कुनार में कहीं छिपा है। पाकिस्तान ने मांग की थी कि अफगानिस्तान अजहर को गिरफ्तार करके उसे सौंप दे।
बुधवार शाम एक तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने साफ कर दिया कि JEM सरगना उनके देश में नहीं है। मुजाहिद ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि अजहर अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद है। पाकिस्तान ने दिखावे के तौर पर JEM पर 2002 में प्रतिबंध लगाया था। पाकिस्तान ने JEM से जुड़े दो संगठनों अल-रहमत ट्रस्ट बहावलपुर और अल-फुरकार ट्रस्ट कराची पर 2019 में प्रतिबंध लगा दिया था।
इंटरनेशनल वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को तीन साल से टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई न करने के आरोपों के चलते ग्रे लिस्ट में रखा है। इस दवाब के चलते पाकिस्तान आतंकवादियों पर कार्रवाई के कदम उठाने के लिए मजबूर हो गया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, उसने हाल ही में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने मसूद अजहर का पता लगाने और उसे हिरासत में लेने के लिए अफगान तालिबान सरकार से संपर्क किया है।
मंगलवार को तालिबान को लिखे लेटर में पाकिस्तान ने कहा था कि मसूद भारत में 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2019 के पुलवामा विस्फोट जैसे कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार है। पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि वह नंगरहार और कुनार में छिपा हो सकता है।
पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ये साफ नहीं है कि अजहर अफगानिस्तान कब पहुंचा, अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जा करने से पहले या बाद में। अभी तक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।