कांग्रेस पार्टी से दशकों पुराना नाता छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने रविवार को पार्टी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिर्फ कांग्रेस ही भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दे सकती है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) सिर्फ दिल्ली की पार्टी है।
कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी की धर्मनिरपेक्षता की नीति के खिलाफ नहीं थे, बल्कि इसके कमजोर सिस्टम के खिलाफ थे। श्रीनगर में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा- मैं अभी भी चाहता हूं कि कांग्रेस गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करे। कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी लंबे समय से सभी लोगों को चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो या फिर किसानों को साथ लेकर चल रही है।
आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला करते हुए आजाद ने कहा कि आम आदमी पार्टी इन राज्यों में कुछ नहीं कर सकती, वे पंजाब में विफल हो गए हैं और पंजाब के लोग उन्हें दोबारा वोट नहीं देंगे।आप केवल यूटी दिल्ली की एक पार्टी है। वे पंजाब को कुशलता से नहीं चला सकते हैं, केवल कांग्रेस गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा को चुनौती दे सकती है, क्योंकि उनकी एक ज्वाइंट पॉलिसी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की सोच के केंद्र में संकेत देने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को कई बार उठाया है और अगर केंद्र सरकार ऐसा करेगी तो इसका स्वागत किया जाएगा। गुलाम नबी आजाद डोडा के दौरे पर हैं जहां वह आने वाले दिनों में कई रैलियों को संबोधित करेंगे।
26 अगस्त, 2022 को आजाद ने कांग्रेस पार्टी के साथ 52 साल पुराने रिश्ते को छोड़ दिया था। अक्टूबर में आजाद ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ की घोषणा की। सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में उन्होंने पिछले लगभग 9 सालों में पार्टी को चलाने के तरीके को लेकर पार्टी नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी पर निशाना साधा था। पांच पन्नों के पत्र में आजाद ने दावा किया था कि सोनिया गांधी सिर्फ नाममात्र प्रमुख थीं और सभी बड़े फैसले राहुल गांधी या बल्कि उनके सुरक्षा गार्ड और पीए की ओर से लिए गए थे।
गुजरात में दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को चुनाव होंगे। वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी। गुजरात में बीजेपी ने लगातार छह विधानसभा चुनाव जीते हैं। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अपने अभियान को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। बात करें AAP की, तो पिछले चुनावों के विपरीत, इस साल आम आदमी पार्टी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है, जिसने इसे त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है।