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कश्मीर में महिला हिंदू टीचर की हत्या

सुबह के करीब १० बज रहे थे और स्कूल में प्रेयर का टाइम था । अचानक फायरिंग की तड़तड़ाहट सुनाई दी । स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बाहर निकले तो देखा कि उनकी फेवरेट टीचर रजनी स्कूल के गेट से १०-१५ मीटर की दूरी पर लहूलुहान पड़ी हुई हैं । पास में ही उनका लाल रंग का बैग और जामुनी रंग की जूतियां पड़ी हुई थीं । हमला इतना खतरनाक था कि खून रिसते हुए जूतियों तक जा पहुंचा था ।
कश्मीर में एक के बाद एक हो रही टारगेटेड हत्याओं का सिलसिला जारी है । इस बार आतंकियों के निशाने पर थीं साउथ कश्मीर के ग्रामीण इलाके में पढ़ाने वालीं हिंदू टीचर रजनी । कुलगाम जिला हाल के दिनों में आतंक का नया गढ़ बनकर उभरा है । जम्मू श्रीनगर हाइवे से करीब २५ किमी अंदर गांव है गोपालपोरा । इसी गांव के सरकारी हाईस्कूल स्कूल के पास आतंकियों ने टीचर रजनी को निशाना बनाया । जिस वक्त आतंकियों ने हमला किया, स्कूल के अंदर करीब ७० छात्र थे । फायरिंग शॉट्‌स सुनते ही सब खौफजदा हो गए । किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ । गोपालपोरा ग्राम प्रधान ने बताया, ‘आतंकियों का हमला सुबह करीब १० बजे हुआ । मैंने देखा कि एक टीचर के सिर में गोली लगी है । एक दूसरे टीचर की मदद से उसे उठाया, इसके बाद मैंने ही पुलिस को सूचना दी ।’
टीचर रजनी को फौरन उठाकर कुलगाम के सरकार हॉस्पिटल ले जाया गया और घटनास्थल पर सुरक्षाबलों ने कमान संभाल ली । इलाके को चारों तरफ से घरकर सर्च अॉपरेशन चलाया गया, लेकिन तब तक आतंकी भाग चुके थे । स्कूल के अंदर छात्र डरे सहमे हुए थे । सुरक्षाबलों ने छात्रों को बाहर निकालना शुरू किया । जैसे ही छात्रों को पता चला कि उनकी टीचर रजनी की आतंकियों ने हत्या कर दी है, दर्जनों छात्रों के आंसू छलक पड़े और ऐसे छलके कि फिर रुके ही नहीं । ७वीं क्लास में पढ़ने वाली उजमा जान ने बताया, ‘हम टॉपिक पढ़ रहे थे, तभी बाहर से अचानक जोरदार आवाज आई । मुझ लगा कि माइक फट गया और किसी बच्चे को चोट लग गई है । मैं इम्तियाज सर के साथ क्लास से बाहर निकली । जब हम दोनों बाहर निकले तो देखा कि सारे बच्चे भाग रहे थे और हमने रजनी मैम को गिरते हुए देखा । मैंने पूछा कि रजनी मैम को क्या हुआ? कोई जवाब नहीं दे रहा था ।’ इनशा जान बताती हैं कि ‘हम मैम को बहुत मिस करेंगे । वो बहुत अच्छा पढ़ाती थीं ।’ स्कूल की बिल्डिंग के पास ही रहने वाली ६० साल की साजा बेगम ने बताया कि आज सुबह मैंने अपने घर के सामने गोली चलने की आवाज सुनी । मैं फौरन घर के बाहर निकली और देखा कि गोपालपोरा के गवर्नमेंट हाईस्कूल के बाहर रजनी टीचर पर कुछ लोग फायरिंग करके भाग चुके थे । रजनी टीचर यहां पिछले २ साल से पोस्टेड थीं । आज सुबह ही उनके पति उन्हें स्कूल के बाहर तक छोड़कर गए थे । वो बहुत ही व्यावहारिक महिला थीं । वो हमारे बच्चों को बहुत अच्छे से पढ़ाती थीं । हम इस दुख में उनके परिवार के साथ हैं । मैं जब घर के बाहर निकली तो हमलावर भाग चुके थे, लेकिन मैंने गोलियों की आवाज अच्छे से सुनी थी ।
कश्मीर में टारगेट किलिंग अक्टूबर में शुरू हुईं । यहां पांच दिनों में सात नागरिक मारे जा चुके हैं । इनमें एक कश्मीरी पंडित, एक सिख और प्रवासी हिंदू शामिल हैं, जो नौकरी की तलाश में आए थे । १४ अप्रैल को आतंकियों ने सतीश कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी । इससे पहले शनिवार को आतंकियों ने अली जान रोड स्थित ऐवा ब्रिज पर पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी थी । ये मई महीने में दूसरे कश्मीरी हिंदू की हत्या है । पहले राहुल भट और अब टीचर रजनी की हत्या के बाद कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा पर फिर से सवाल खड़ा हो गया है । कश्मीर में आर्टिकल ३७० हटने के बाद ४ कश्मीरी पंडितों समेत १४ हिंदू आतंकी हमलों में मारे जा चुके हैं । गृह मंत्रालय ने संसद में इसकी जानकारी दी थी ।
कश्मीरी पंडितों का घाटी में १८ दिनों से आंदोलन चल रहा है । प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले पंडित काम का बहिष्कार कर प्रदर्शन कर रहे हैं । ये प्रदर्शन घाटी में अब तक का सबसे लंबा चलने वाला आंदोलन बन चुका है । ??रेवन्यू विभाग के कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद प्रदर्शन शुरू हुआ था । काम करने वाले कश्मीरी पंडितों की मांग है कि हमें कश्मीर के बाहर पोस्टिंग दी जाए ।

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