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बढ़ते तापमान-प्रदूषण से गुस्सैल हो रहे हैं कुत्ते 

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं का दावा है कि बढ़ते तापमान, गर्मी, अल्ट्रावायलेट रेज और ओजोन प्रदूषण के साथ डॉग बाइट की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने डॉग बाइट की करीब 70,000 घटनाओं का अध्ययन किया है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने कुत्तों के मिजाज पर बढ़ते तापमान और प्रदूषण के प्रभावों का भी आकलन किया है। शोध में सामने आया कि वातावरण में जब यूवी विकिरण ज्यादा था तो कुत्तों के काटने की घटनाओं में 11 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। अत्यधिक गर्म और उमस भरे दिनों में यह घटनाएं सात से आठ फीसदी और ओजोन के बढ़ते स्तर के कारण इन घटनाएं में करीब पांच फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गर्म और धूल-धुएं से भरे दिनों में कुत्ते इंसानों पर ज्यादा हमला करते हैं।

इंसानों के साथ अन्य जीवों के व्यवहार में भी आ रहा बदलाव
शोध के मुताबिक, कुत्तों के व्यवहार में आता यह बदलाव इंसानों के समान ही है। पहले किए गए कुछ अध्ययनों में भी यह साबित हो चुका है कि तापमान और वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने पर मनुष्य अधिक हिंसक अपराध करते हैं। इतना ही नहीं बढ़ते तापमान और प्रदूषण के साथ यह प्रवृत्ति बंदर, चूहों और अन्य जंगली जीवों में भी देखी गई है। पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण का असर जिस तरह मानव शरीर पर पड़ता है, ठीक उसी तरह जानवरों के शरीर में भी पड़ता है। जैसे-जैसे आबोहवा खराब होती जाती है, वैसे-वैसे बढ़ते प्रदूषण के प्रकोप से जानवर ज्यादा हिंसक होते जाते हैं। मनुष्यों की तरह लंबे समय के बाद प्रदूषण का प्रभाव जानवरों पर भी दिखाई देने लगता है।

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि घनी आबादी के आस-पास स्थित जंगलों में बढ़ते प्रदूषण की वजह से लंगूरों, जंगली कुत्तों, लकड़बग्घों और खरगोशों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है।

जलवायु का पड़ता है असर
जर्नल एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, बढ़ता तापमान हिंसक घटनाओं में वृद्धि की वजह बन रहा है। लोग जिस जलवायु में रहते हैं वो उनके गुस्से को उकसाता या कम करता है। जहां गर्म इलाकों में अपराध ज्यादा होते हैं, वहीं ठंडे इलाकों में अपराध की दर कम होती है।

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