पूरे देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया । कोर्ट ने इस मामले के दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की फांसी की सजा कायम रखी है । कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखा है । तीनों जजों ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया । इससे पहले, चारों ने इस सजा को अदालत में चुनौती दी थी । अदालत ने २७ मार्च को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था । पूरे देश की इस फैसले पर नजर थी । सुप्रीम कोर्ट ने शायद यही मेसेज देने की कोशिश की है कि इस तरह से बर्बरतापूर्ण अपराध के लिए नरमी की कोई गुंजाइश नहीं है । कोर्ट ने माना कि दोषियों को पता है कि उन्होंने कितनी वहशियाना हरकत की है । अदालत ने कहा कि इस वारदात की वजह से देश में शॉक की सूनामी आ गई थी । कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया तो निर्भया के मां-बाप और अन्य लोगों ने कोर्ट में तालियां बजाई । जस्टिस दीपक मिश्रा ने विस्तार से फैसला सुनाया । अदालत ने कहा कि इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था । कोर्ट ने माना कि इस मामले में अमीकस क्यूरी की ओर से दी गई दलीलें अपराधियों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं थी । बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा का दिल पसीजने की उम्मीद कम थी क्योंकि वह महिलाओं के मामलों को लेकर संवेदनशील माने जाते हैं । वह रेप को बहुत ही गंभीर किस्म का अपराध मानते हैं । हाल ही में उन्होंने एक फैसला दिया, जिसमें उन्होंने कहा, किसी महिला का को प्रेम करने के लिए मजबूत नहीं किया जा सकता । उसके पास हमेशा ना कहने का अधिकार है । उल्लेखनिय है कि १६ दिसंबर २०१२ की रात देश की राजधानी दिल्ली में ६ लोगों ने २३ साल की मेडिकल स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप किया । दोषियों में १७ साल का नाबालिग भी शामिल था । पीड़ित अपने दोस्त के साथ मूवी देखने के बाद घर वापस लौट रही थी । वे गंतव्य तक जाने के लिए बस में सवार हुए, जहां आरोपियों ने उसके दोस्त की पिटाई की और वहशियाना ढंग से पीड़ित के साथ गैंगरेप किया । २९ दिसंबर को पीड़ित की मौत हो गई ।
ट्रायल के दौरान एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी जबकि छठा आरोपी नाबालिग था, जिसे ३ साल तक जूवेनाइल होम में रखने का आदेश दिया गया था ।
previous post