सरकार उन एक लाख कंपनियों को कई मोर्चो पर घेरने की तैयारी में है जिनका रजिस्ट्रेशन अभी अभी रद्द किया गया हैं । इस सिलसिले में उनके खिलाफ टैक्स और मनी लॉन्ड्रिग संबंधी नियमों के उल्लंघन को लेकर ऐक्शन लिया जाएगा और उनकी बैकिंग गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चाट्र्ड अकाउंट्स के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया था कि कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक लाख कंपनियों के नाम रजिस्टर से हटा दिए हैं । इसके एक दिन बाद सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों के बोर्डो में शामिल अभी डायरेक्टरों को अगले पांच सालों तक दूसरी कंपनियों के बोड्र्स में यह पद लेने पर पाबंदी लगाई जाएगी । सरकार का यह कदम कंपनीज एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक होगा । कंपनी मामलों का मंत्रालय रिटर्न्स फाइल नहीं करने पर इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका हैं और अब वह इन कंपनियों की लिस्ट लेकर बैकों के पास जा रहा । दरअसल, सरकार की मंशा ऐसी कंपनियों को उन्हें अपने बैंक अकाउंट्स ओपरेट करनेे या लोन लेने से रोकना हैं । पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा कि अतीत में हमने देखा कि जिन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन कैंसल हुए थे, उनमें से कुछ बैकिंग सर्विसेज का इस्तेमाल करते रहे क्योंकि तब बैकों को इसकी जानकारी ही दी गई थी। हम इसे रोकना चाहते हैं वरना पूरे मकसद पर पानी फिर जाएगा । इसी तरह कंपनी मामलों का मंत्रालय फाइनेेंस इंटेलिजेंस यूनिट को पत्र लिखकर यह कहनेवाली है कि वह प्रिवेंशन ओफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों को सामने लाए ।