भारत में नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर स्पीड लिमिट बढ़ सकती है। इसके संकेत केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिया है। उन्होंने भारत में कई लेन वाली सड़कों पर आश्चर्यजनक रूप से स्लो स्पीड लिमिट की आलोचना की है। गडकरी ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी सड़कों पर वाहन चलाने वाले लोगों को महज 40 किमी प्रति घंटे की गति सीमा का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया जाता है और उनका चालान काटा जाता है।
नितिन गडकरी ने कहा कि देश के नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और एक्सप्रेसवे पर स्पीड लिमिट बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने राज्य सड़क प्रशासन से रफ्तार में चलने वाले वाहनों को दंडित किए जाने में नरमी बतने को कहा। गडकरी ने कहा कि वाहनों की स्पीड लिमिट को रेगुलेट करने के नियमों पर विशेष रूप से कई लेन वाली सड़कों पर फिर से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं अपने अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर चुका हूं। हमें एक्सप्रेसवे और ग्रीनफील्ड हाईवे सहित चार और छह लेन वाली सड़कों सहित नई सड़कों पर स्पीड लिमिट में संशोधन पर विचार की आवश्यकता है।
सड़कों की स्थिति और बढ़ती दुर्घटनाओं पर गडकरी ने स्वीकार किया कि भारत में उच्च दुर्घटना दर के पीछे एक कारण सड़क इंजीनियरिंग और सड़क डिजाइन है। उन्होंने कहा, सड़क परिवहन मंत्रालय ने ऐसे ब्लैक स्पॉट्स की पहचान की है और स्थिति में सुधार के लिए 1000 ऐसे ब्लैक स्पॉट्स को हटाया गया है। गडकरी ने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार राज्यों के राजमार्गों को विकसित करने में मदद करेगा।
भारतीय सड़कों पर एवरेज स्पीड दुनियाभर में सबसे धीमी है। अमरिकी विश्वविद्यालयों के स्टडी मोबिलिटी एंड कंजेशन इन अर्बन इंडिया के मुताबिक, भारत में वाहनों की औसत गति 35 किमी प्रति घंटे से कम थी। यह अध्ययन भारत के 154 शहरों में किया गया था। वहीं, 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद में 10 किलोमीटर की दूरी पार करने में औसतन 26 मिनट लगते है। चेन्नई और दिल्ली में 29 मिनट लगते हैं। वहीं, बेंगलुरु में 34 मिनट, मुंबई में 37 मिनट और कोलकाता में 39 मिनट लगते हैं। भारत में अधिकांश सड़कें पर स्पीड लिमिट 50 किमी प्रति घंटा है। केवल नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ही स्पीड लिमिट 100 के आंकड़े पर पहुंचती है।