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भारत-विरोधी आतंक और जासूसी

नौ आतंकियों और तीन जासूसों की गिरफ्तारी की खबर देश के लिए चिंताजनक है। आतंकी अल-कायदा और पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं और जासूस चीन से! जासूसी के आरेाप में राजीव शर्मा नामक एक पत्रकार को भी गिरफ्तार किया गया है। जिन नौ आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है, वे सब केरल के हैं। वे मलयाली मुसलमान हैं। इनमें से कुछ प. बंगाल से भी पकड़े गए हैं। इन दोनों राज्यों में गैर-भाजपाई सरकारें हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इन लोगों को कुख्यात अल-कायदा और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी से संपर्क रखते हुए पकड़ा है। इन पर आरोप है कि इनके घरों से कई हथियार, विस्फोटक सामग्री, जिहादी पुस्तिकाएं और बम बनाने की विधियां और उपकरण पकड़े गए हैं। ये आतंकी दिल्ली, मुंबई और कोची में हमला बोलनेवाले थे। ये कश्मीर पहुंचकर पाकिस्तानी अल-कायदा द्वारा भेजे गए हथियार लेनेवाले थे। ये लोग केरल और बंगाल के भोले मुसलमानों को फुसलाकर उनसे पैसे भी उगा रहे थे। भारत में लोकतंत्र है और कानून का राज है, इसलिए इन लोगों पर मुकदमा चलेगा। ये लोग अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने के लिए तथ्य और तर्क भी पेश करेंगे। उन्हें सजा तभी मिलेगी, जबकि वे दोषी पाए जाएंगे। लेकिन ये लोग यदि हिटलर के जर्मनी में या स्तालिन के सोवियत रुस में या माओ के चीन में या किम के उ. कोरिया में पकड़े जाते तो आप ही बताइए इनका हाल क्या होता ? इन्हें गोलियों से भून दिया जाता। अन्य संभावित आतंकियों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़ जाती। ये आतंकी यह क्यों नहीं समझते कि इनके इन घृणित कारनामों की वजह से इस्लाम और मुसलमानों की फिजूल बदनामी होती है।
जहां तक चीन के लिए जासूसी करने का सवाल है, यह मामला तो और भी भयंकर है। जहां तक आतंकियों का सवाल है, वे लोग या तो मज़हबी जुनून या जिहादी उन्माद में फंसे होते हैं। उनमें गहन भावुकता होती है लेकिन शीर्षासन की मुद्रा में। किन्तु जासूसी तो सिर्फ पैसे के लिए की जाती है। लालच के खातिर ये लोग देशद्रोह पर उतारु हो जाते हैं। पत्रकार राजीव शर्मा और उसके दो चीनी साथियों पर जो आरोप लगे हैं, वे यदि सत्य हैं तो उनकी सजा कठोरतम होनी चाहिए। राजीव पर पुलिस का आरोप है कि उसने एक चीनी औरत और एक नेपाली आदमी के जरिए चीन-सरकार को दोकलाम, गलवान घाटी तथा हमारी सैन्य तैयारी के बारे में कई गोपनीय और नाजुक जानकारियां भी दीं। इन तीनों के मोबाइल, लेपटाॅप और कागजात से ये तथ्य उजागर हुए। राजीव के बैंक खातों की जांच से पता चला है कि साल भर में उसे विभिन्न चीनी स्त्रोतों से लगभग 75 लाख रु. मिले हैं। भारत के विरुद्ध जहर उगलनेवाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में राजीव ने लेख भी लिखे हैं। देखना यह है कि उन लेखों में उसने क्या लिखा है ? दिल्ली प्रेस क्लब के अध्यक्ष आनंद सहाय ने बयान दिया है कि राजीव शर्मा स्वतंत्र और अनुभवी पत्रकार है और उसकी गिरफ्तारी पुलिस का मनमाना कारनामा है। वैसे तो किसी पत्रकार पर उक्त तरह के आरोप यदि सत्य हैं तो यह पत्रकारिता का कलंक है और यदि यह असत्य है तो इसे सरकार और पुलिस का बेहद गैर-जिम्मेदाराना काम माना जाएगा। दिल्ली पुलिस को पहले भी पत्रकारों के दो—तीन मामलों में मुंह की खानी पड़ी है। उसे हर कदम फूंक—फूंककर रखना चाहिए।

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