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पीएम मोदी ने की मन की बात, कहा – पर्व और पर्यावरण में गहरा नाता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कोरोना संकट के बीच लोग अनुशासन और अपने दायित्व के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि पर्व और पर्यावरण का आपस में गहरा नाता है। इस बार लोगों ने गणेशोत्व ऑनलाइन मानाया। रविवार को मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है। गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो, ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। पीएम मोदी के मन की बात का यह 68वां संस्करण था। पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों से जुड़ते हैं और अलग-अलग मुद्दों और विषयों पर चर्चा करते हैं।
बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के lockdown या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत, संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं। इन दिनों ओणम का पर्व भी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। ये पर्व चिंगम महीने में आता है। इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं। किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है। हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं। “अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः। अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है।”
कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लंबे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, Toy Production का बहुत बड़ा hub कैसे बने। वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नई-नई demand सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा। खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं। खिलौनों के संबंध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो। ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें।

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