सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से प्राप्त एक अप्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की समिति ने ग्राहकों से 5,000 रुपए से ऊपर की एटीएम निकासी पर शुल्क लेने की सिफारिश की थी। समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि एटीएम से केवल 5,000 तक की निकासी फ्री होनी चाहिए इससे ऊपर की निकासी पर शुल्क लगना चाहिए।
भारतीय बैंक संघ के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी वीजी कन्नन की अगुवाई वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार बैंक 5,000 से ऊपर के प्रत्येक व्यक्तिगत लेनदेन के लिए ग्राहकों पर शुल्क लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसको 22 अक्तूबर 2019 को केंद्रीय बैंक के सामने प्रस्तुत किया गया था लेकिन इसे कभी जारी नहीं किया गया। जब श्रीकांत एल ने आरटीआई के तहत रिपोर्ट मांगी थी तो सार्वजनिक सूचना अधिकारी (पीआईओ) ने अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि यह आरबीआई द्वारा विवादास्पद क्षमता में रखा गया है और आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) के तहत छूट दी गई है।
एटीएम इंटरचेंज शुल्क संरचना की समीक्षा करने के लिए समिति की रिपोर्ट आरबीआई की प्रतिक्रिया के खिलाफ अपील के बाद ही उपलब्ध कराई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेटिंग एटीएम की लागत में वृद्धि हुई है जबकि ग्राहक के एटीएम उपयोग शुल्क पर इंटरचेंज फीस और कैप की समीक्षा 2012 और 2008 के बाद से नहीं की गई है। समिति ने विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण केंद्रों में नए एटीएम की तैनाती की कमी पर भी चिंता व्यक्त की थी।
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