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“सामना” के जरिए शिवसेना ने निशाना लगाया मोदी – शाह पर

देश में नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ आसाम से दिल्ही तक हिंसा की घटनाए हो रही है। ऐसे में भाजपा के पूर्व सहयोगी दल शिवसेना ने सामना के जरिए केंद्र सरकार से सवाल पुछा है की भारत आखिर क्यों जला…?
सामना के संपादकीय पर एक नजर…..
महाराष्ट्र में ढोंग, देश में स्वांग, देश क्यों जला…?
नागरिकता संशोधन विधेयक का महाराष्ट्र में क्या होगा, ऐसा सवाल विरोधी पक्ष के समक्ष है। हाथ से सत्ता निकल चुकी है। मुंह तक आया निवाला छिन चुका है इसलिए उनके मन का तनाव हम समझ सकते हैं। ऐसा तनाव होने पर ऐसे सवाल मन में उठते रहते हैं। हालांकि महाराष्ट्र के सामने इससे अधिक महत्वपूर्ण और लोगों के जीने-मरने के भी सवाल हैं। उन समस्याओं को दूर करने के लिए हम वचनबद्ध हैं। नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में उद्रेक मचा हुआ है और यह मामला केंद्र सरकार के हाथ से बाहर जा चुका है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में आग लगी ही है लेकिन बिहार और लखनऊ सहित अन्य राज्यों में भी आगजनी शुरू हो चुकी है। राजधानी दिल्ली में तो माहौल सबसे ज्यादा तनावपूर्ण दिख रहा है। विधेयक के विरोध में आवाज उठानेवाले जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस ने बंदूकें तान दीं। गोलियां चलार्इं। जब अपने ही देश के छात्रों पर बंदूक तानने की नौबत आ जाए तो ये समझना चाहिए कि मामला हाथ से निकल चुका है। दिल्ली में पुलिस की कार्रवाई अमानवीय और गैरकानूनी है। जलियांवाला बाग हत्याकांड में अंग्रेजों ने इससे अलग कुछ नहीं किया था। १९८४ के सिख हत्याकांड के संदर्भ में भाजपा के पास अब बोलने को कुछ बचा है क्या? नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में जो हिंसा भड़की है, उसके बारे में प्रधानमंत्री ने हमेशा की तरह शांति का आह्वान किया है और घोषणा की है कि इसके पीछे पाकिस्तान का दिमाग और हाथ है। ऐसा कहना मोदी सरकार की दुर्बलता है। एक महाशक्तिमान देश में पाकिस्तान जैसा कमजोर देश अगर इस प्रकार के दंगे आदि कराने की क्षमता रखता है तो ये हिंदुस्थान के लिए शोभनीय नहीं है। एक तरफ ये कहना कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ आदि करके हमने पाकिस्तान को खत्म कर दिया, घुटने टेकने को मजबूर कर दिया और उसी समय देश का जल उठना और इसका ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ना, ये बात हजम नहीं होती। यदि पाकिस्तान हिंदुस्थान में कुछ गड़बड़ कर रहा होगा तो उसे सबक सिखाना ही एकमात्र तरीका बचता है। एकाध अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अनदेखी करना या उनसे हाथ न मिलाने से क्या हासिल होगा? लेकिन हम अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की बजाय बचपने में रमे हुए हैं और भक्तों को इसमें शौर्य दिख रहा है। देश में नागरिकता संशोधन विधेयक पर बवाल मचा हुआ है, इसी दौरान भाजपा ने वीर सावरकर के अपमान का मुद्दा उठाया है। वीर सावरकर क्रांतिकारियों के शिरोमणि थे। सवाल सिर्फ इतना है कि गत साढ़े ५ साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है। ‘भारत रत्न’ देकर वीर सावरकर का सम्मान करने से उन्हें किसने रोका था? दूसरी बात ये है कि सावरकर को ‘कलंक’ और ‘माफीवीर’ कहते हुए घूमनेवाली ‘आयात’ मंडली महाराष्ट्र की विधानसभा में भाजपा की बेंच पर बैठी हुई है। उनका तुम क्या करोगे? सावरकर का अपमान करनेवालों के कोट में गुलाब का फूल खोंसकर उसे दिखाते घूम रहे हो इसलिए तुम्हारे सावरकर प्रेम के ढोंग का पर्दाफाश हो चुका है। तुम महाराष्ट्र में ढोंग और देश में स्वांग कर रहे हो। सावरकर को लेकर मगरमच्छ के आंसू बहाने की बजाय नागरिकता संशोधन विधेयक पर देश क्यों जल उठा? पहले इसका जवाब जनता को दो। महाराष्ट्र में पहले की सरकार ने समस्याओं का पहाड़ खड़ा कर रखा है। अरब सागर के शिव स्मारक में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ऐसे कई मामले हैं। उन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विरोधी दल फालतू की बातें कर रहा होगा तो ये बातें उन्हीं को भारी पड़ेंगी। विरोधी दल सकारात्मक दृष्टिकोण रखे। विरोधियों की कुंडली हमारे हाथ में है, उद्धव ठाकरे ऐसी धमकी देनेवालों में से नहीं हैं। ऐसी धमकियां पूर्व मुख्यमंत्री ने दी थीं। महाराष्ट्र में ये चीज अब समाप्त हो चुकी है। नागरिकता संशोधन बिल में क्या किया जाए, इसका मार्गदर्शन विरोधियों से लेने की आवश्यकता नहीं है। भीमा-कोरेगांव दंगे में श्री फडणवीस की सरकार ने किस प्रकार समर्पण कर दिया था, इसका अनुभव देश कर चुका है। महाविकास आघाड़ी की सरकार महाराष्ट्र की नई कुंडली बना रही है। विरोधी इसमें अड़चन पैदा न करें। नागरिकता संशोधन विधेयक की बजाय हमें महाराष्ट्र के ११ करोड़ नागरिकों की चिंता है। विरोधियों को ये स्वीकार नहीं होगा और वे खाली बैठे होंगे तो वे दूसरे राज्यों में लगी आग को बुझाने जाएं। हम दमकल की व्यवस्था कर देंगे।

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