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हैदराबाद एनकाउंटर की जांच होनी चाहिए : सुप्रीम

तेलंगाना में पशु चिकित्सक के साथ दरिंदगी करने वाले चार आरोपियों को पुलिस के मुठभेड़ में मार गिराने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि लोगों को इस मुठभेड़ की हकीकत जानने का अधिकार है, इसलिए जांच का विरोध मत कीजिए। चीफ जस्टिस ने तेलंगाना पुलिस का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहगती से कहा, अगर आप कहते हैं कि आप उनके (मुठभेड़ में शामिल पुलिसवालों को) खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमान करने जा रहे हैं तो हमें कुछ नहीं करना है। लेकिन, अगर आप उन्हें निर्दोष मानते हैं तो लोगों को सचाई जानने का अधिकार है। तथ्य क्या हैं, हम अटकलें नहीं लगा सकते। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, हमारा विचार है कि एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जांच होने दीजिए। आपको इसपर क्या आपत्ति है?
इस पर मुकुल रोहतगी ने इस तरह के पुराने मामलों की जांच का हवाला दिया। उन्होंने कहा, अतीत में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की नियुक्ति जांच की निगरानी के लिए की थी न कि जांच करने के लिए। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि वह तेलंगाना में वेटनरी डॉक्टर से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर रहा है। पीठ ने कहा था कि उसे तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा घटना का संज्ञान लिए जाने की जानकारी है। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सिर्फ यही चाहती है कि उच्चतम न्यायालय के दिल्ली में रहने वाले किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, हमारा प्रस्ताव शीर्ष अदालत के किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच के लिये नियुक्त करने का है। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस घटना की जांच करने वाले पूर्व न्यायाधीश को दिल्ली में रहकर काम करना होगा। पीठ ने कहा कि उसने शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश से इस घटना की जांच करने का अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया।न्यायालय ने इस मुठभेड़ की विशेष जांच दल से स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर जनहित याचिकाओं को आज के लिए लिस्ट किया था और संबंधित पक्षकारों के वकीलों से कहा था कि वे नियुक्ति के लिए पूर्व न्यायाधीशों के नामों के बारे में सुझाव दें।

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