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30 दिनों बाद लोन डिफॉल्ट का करना होगा खुलासा

सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने कहा है कि लिस्टेड कंपनियां अगर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ब्याज या कर्ज की किस्त चुकाने में 30 दिनों से अधिक की देरी करती हैं तो उन्हें उसकी जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को देनी होगी। सेबी ने बुधवार की बोर्ड मीटिंग में इस फैसले के साथ पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS यानी अमीरों का इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट) के नियम कड़े कर दिए और राइट्स इशू की अवधि भी घटा दी। सेबी ने बताया कि लोन डिफॉल्ट की जानकारी 30वें दिन के बाद अगले 24 घंटे के अंदर देनी होगी। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बोर्ड मीटिंग के बाद रिपोर्टर्स से कहा, ‘हम चाहते हैं कि कंपनियों से जुड़ी अधिक से अधिक सूचनाएं निवेशकों और अन्य शेयरहोल्डर्स को मिलें ताकि उन्हें पता रहे कि क्या चल रहा है। यह कदम हमने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया है।’ 2017 में सेबी ने प्रस्ताव दिया था कि कंपनियों को लोन डिफॉल्ट की जानकारी एक वर्किंग डे के अंदर देनी चाहिए लेकिन बैंकों और अन्य संबंधित पक्ष के आपत्ति जताने के बाद उसने इसे टाल दिया था।
सेबी चीफ ने बताया, ‘अभी कंपनियों को डिफॉल्ट के बारे में कोई खुलासा नहीं करना पड़ता। इसलिए स्थिति तो बेहतर ही होने वाली है।’ सेबी चीफ से जब यह पूछा गया कि क्या रिजर्व बैंक इस प्रस्ताव के लिए मान गया है, तो त्यागी ने बताया कि रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर उस बोर्ड मीटिंग में शामिल थे, जिसने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई है। सेबी के ये फैसले अगले साल की पहली तारीख से लागू होंगे। मार्केट पर नजर रखने वालों और वकीलों ने भी बताया कि लिस्टेड कंपनियों के डिफॉल्ट का खुलासा करने से निवेशकों की कंपनी को लेकर बेहतर समझ बनेगी। आईसी यूनिवर्सल लीगल में पार्टनर सुनीत बर्वे ने कहा, ‘सेबी के इस कदम से कंपनी को दिए गए कर्ज के एनपीए बनने से काफी पहले निवेशक को उसकी वित्तीय स्थिति की जानकारी मिलेगी।’
कंपनियां वित्तीय संस्थानों से कई तरह की मदद लेती हैं। ऐसे में सेबी को स्पष्ट करना होगा कि वह किस तरह और कितनी रकम तक के कर्ज पर डिफॉल्ट का खुलासा करने की बात कर रहा है ताकि हर लोन डिफॉल्ट के डिसक्लोजर की जरूरत न पड़े। उधर, कॉर्पोरेट गवर्नेंस एक्सपर्ट्स ने कहा कि सेबी की इस पहल से इनसाइडर ट्रेडिंग भी घटेगी।सेबी बोर्ड ने पोर्टफोलियो मैनेजर्स के लिए मिनिमम नेटवर्थ रिक्वायरमेंट को 2 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ और पीएमएस में न्यूनतम निवेश की रकम को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दिया है। मौजूदा पोर्टफोलियो मैनेजरों को इस शर्त को पूरा करने के लिए तीन साल का समय मिलेगा। सेबी ने कहा है कि पीएमएस अग्रीमेंट के मुताबिक मौजूदा निवेश जारी रह सकते हैं। सेबी ने राइट्स इशू को पूरा करने की अवधि 58 से घटाकर 31 दिन कर दी है।

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