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दिवालिया हो सकती है DHFL

देश की सबसे बड़ी हाऊसिंग कम्पनी दीवान हाऊसिंग फाइनैंस कम्पनी (डी.एच.एफ.एल.) दिवालिया हो सकती है। कम्पनी इसके लिए नैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) में जल्द आवेदन कर सकती है। अगर कम्पनी ने इसके लिए आवेदन नहीं किया तो बैंक अपनी तरफ से ऐसा कर सकते हैं। सरकार के एक नोटिफिकेशन के बाद अब यह कम्पनी भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सकती है। कम्पनी मामलों के मंत्रालय ने 18 नवम्बर को जारी एक नोटिफिकेशन में इंसॉल्वैंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आई.बी.सी.) के सैक्शन 227 में बदलाव करते हुए कहा है कि अब 500 करोड़ से ज्यादा की वैल्यू वाली एन.बी.एफ.सी. कम्पनियां भी दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकती हैं।
कम्पनी को दिवालिया प्रक्रिया में ले जाने के लिए बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.)से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। बैंक अब डी.एच.एफ.एल. की फाइल को सीधे एन.सी.एल.टी. में भेज सकते हैं। आर.बी.आई. इसके बाद कम्पनी को चलाने के लिए अपनी तरफ से एक प्रशासक को नियुक्त कर सकती है। कम्पनी पर कुल 85,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। केवल बैंकों का ही 38,000 करोड़ रुपए का बकाया है। बैंक, म्यूचुअल फंड, नैशनल हाऊसिंग बैंक, यू.पी. पावर कॉर्पोरेशन और अन्य जमा करने वालों का पैसा फंसा पड़ा है।
डी.एच.एफ.एल. के रैजोल्यूशन प्लान के अनुसार कम्पनी पर नॉन-कन्वॢटबल डिबैंचर (एन.सी.डी.) के 41,431 करोड़ रुपए बकाया हैं। वहीं बैंकों का 27,527 करोड़, 6,188 करोड़ की एफ.डी., 2,747 करोड़ रुपए की एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ई.सी.बी.), नैशनल हाऊसिंग बैंक (एन.एच.बी.) के 2,350 करोड़, सब-कर्ज और पर्पेचुअल कर्ज क्रमश: 2,267 करोड़ और 1.263 करोड़ रुपए और कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपए के हैं। इस तरह कम्पनी पर कुल 83,873 करोड़ रुपए बकाया है।
साल 2017 से अब तक यू.पी.पी.सी.एल. ने 4,100 करोड़ रुपए से ज्यादा का रिटायरमैंट फंड हाऊसिंग फाइनांस कम्पनी दीवान हाऊसिंग फाइनांस लिमिटेड में निवेश किया है। इसमें से यू.पी.पी.सी.एल. को केवल 1,855 करोड़ रुपए ही मिले हैं। सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण गुप्ता ने उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सैक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा जी.पी.एफ. व सी.पी.एफ. की धनराशि को डी.एच.एफ.एल. में लगा दिया था। उस समय प्रवीण सी.पी.एफ. और जी.पी.एफ. ट्रस्ट का कार्यभार संभाल रहे थे। उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 2015 के आदेश को दरकिनार करते हुए फंड की 50 प्रतिशत से अधिक राशि को डी.एच.एफ.सी.एल. में निवेश किया। गौरतलब है कि डी.एच.एफ.एल. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में शामिल नहीं है।

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