कर्जमाफी की घोषणा के बाद महाराष्ट्र सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि इसका लाभ सिर्फ जरुरतमंद किसानों को ही मिल सके । मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार डिजिटल प्लेटफोर्म की मदद से यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी कर्ज माफी योजना का फायदा केवल जरुरतमंद किसानों को ही मिले। फडणवीस ने कहा कि यह फैसला उस बड़े घोटाले के मद्देनजर लिया गया है जो वर्ष २००८ में केन्द्र सरकार की तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा कर्जमाफी के बाद महाराष्ट्र में हुआ था । उन्होंने कहा कि इसका लाभ मुश्किलों मे घिरे किसानों को नहीं मिल सका था । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संयुक्त समिति का गठन किया है जो हफ्ते भर के भीतर उन परिस्थितियों के बारे में विचार विमर्श करेगी जिनके जरिए यह सुनिश्चित हो सकेगा कि इस कर्ज माफी का लाभ किन्हे मिलना चाहिए । फड़णवीस ने कहा कि जिन किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी है, जो पेशेवर है या सरकारी कर्मचारी है और खेती भी कर रहे हैं उन्हें इस योजना से बाहर रखा जाएगा । मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्जमाफी की घोषणा से अब कर्ज तले दबे राज्य पर और दबाव पड़ेगा क्योंकि इसकी खातिर उनकी सरकार को २५००० करोड़ रुपये या इससे अधिक राशि की जरुरत होगी । यहां भाजपा के गुड गवर्नेस विभाग में हाल में आयोजित चर्चा में उन्होेने कहा कि हालांकि इसका प्रबंध हो जाएगा । उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने ११ जून को कर्जमाफी की घोषणा की थी । साथ ही इसके लिए मानदंड तय करने के लिए समिति के गठन का भी फैसला लिया गया था । सरदार के फैसले के बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था ।
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