भारतीय जनता पार्टी का ‘मिशन २०२४’ के जरिए बारामती में पवार प्रभुत्व को खत्म करने का सपना गुरुवार को अजित पवार ने रेकॉर्ड जीत हासिल कर तोड़ दिया । पवार को १ लाख ६५ हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत मिली है । उन्होंने अपना ही रेकॉर्ड तोड़ा जो २०१४ के चुनाव में उन्होंने ८९,००० वोटों के अंतर से जीतकर कायम किया था । बीजेपी ने पवार के गढ़ को भेदने के लिए धांगर समुदाय के नेता गोपीचंद पडलकर को उतारा था लेकिन उसे इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ । पडलकर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके । गौर करने वाली बात यह है कि पूर्व डेप्युटी सीएम अजित ने बारामती में खास प्रचार भी नहीं किया था । उनके बदले यह जिम्मा उनकी पत्नी सुनेत्रा ने संभाला था । पवार को पहले सी ही भरोसा था कि उनकी सीट पर टक्कर में है ही नहीं । छह बार विधायक रहे पवार ने २०१४ में बीजेपी के प्रभाकर गवड़े को ८९,००० वोटों से हराया था । उनकी बहन और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी मई में भारी अंतर से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी । पवार ने अपनी जीत के बाद कहा, बारामती के लोगों ने जो भरोसा दिखाया है वह भावविभोर करने वाला है और मैं उस पर खरा उतरूंगा । क्षेत्र में विकासकायोर्ं पर जोर रहेगा । शरद पवार के भाई के पोते रोहित पवार ने पहली बार चुनाव में उतरते हुए बीजेपी मंत्री राम शिंदे से कर्जत जामखेड़ सीट छीन ली । शिंदे ने काउंटिंग सेंटर पर जैसे ही रोहित को अच्छी बढ़त बनाते देखा, वह वहां से चले गए । एनसीपी ने रोहित को उतारते हुए बीजेपी के इस सीनियर नेता को पुणे के बाहर चुनौती देने का प्लान बनाया था जिसमें उसे जीत मिल गई । रोहित ने अपनी जीत के बाद कहा, हमारे राज्य के नाम में महा शब्द आता है जिसका मतलब है विशाल लेकिन इस तरह का कुछ महाराष्ट्र में कई साल से नहीं हुआ था । मौजूदा तस्वीर को बदलने के लिए नए समीकरण बनाना जरूरी है और मैं उसका समर्थन करूंगा । रोहित ने कहा कि जब उनका नामांकन हुआ तो विपक्ष ने उन्हें बाहरी बताया । रोहित ने कहा कि उन्होंने इसे नजरअंदाज करने का फैसला किया और प्रचार के दौरान सिर्फ विकास के बारे में बात की ।
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