पाकिस्तान को अपने तत्काल आर्थिक संकट से निपटने के लिए चीन और सऊदी अरब से आर्थिक मदद के अलावा अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण मिला है। इसके वाबजूद देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की ट्रेड एंड डेवेलेपमेंट रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि पाकिस्तान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि आधी हो चुकी है, भुगतान खराब स्थिति में है, रुपये में काफी गिरावट आई है और बाहरी ऋण काफी बड़ा है जो बढ़ता ही जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 के बाद से चीनी अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट देखी गई, व्यापार और प्रौद्योगिकी तनाव के कारण 2019 में इसके और ज्यादा होने की संभावना है।
चीन की व्यापार वृद्धि की गति अन्य पूर्वी एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर एक बड़ा प्रभाव डालती है क्योंकि यह संभावना है कि इन अर्थव्यवस्थाओं में एकीकृत मूल्य श्रृंखलाएं फैली हुई हैं और यह चीन से जुड़ीं हैं जो बाधित होंगी। अगर 2030 तक पर्यावरण और आर्थिक परिदृश्य को बदलना है तो सार्वजनिक बैंकिंग को अपनी पारंपरिक, बड़ी भूमिका वापस देनी होगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पाकिस्तान का वार्षिक राजकोषीय घाटा पिछले तीन दशकों में सबसे अधिक बढ़कर 8.9 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। राजकोषीय घाटा संघीय सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर है।
पाकिस्तान में पिछले साल इमरान खान भ्रष्टाचार को खत्म करने और खर्च में कटौती को कठोर कदम उठाने के वादे पर सत्ता में आए थे। उन्होंने पैसों की तंगी से जूझ रहे देश की खराब होती आर्थिक परिस्थिति को पटरी पर लौटाने का संकल्प लिया था। जबकि असलियत यह है कि देश में गैस और तेल उत्पाद, बिजली, दूध आदि सभी काफी मंहगे हैं जो आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। इसी बीच आईएमएफ ने उसे करारा झटका दिया है। आईएमएफ ने दिसंबर में अपना कर्ज कार्यक्रम लागू होने के बाद के दूसरे तिमाही की समीक्षा होने तक पाकिस्तान की तरफ से किसी भी तरह की सरकारी गारंटी दिए जाने पर रोक लगा दी है।