देश के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा से पहले एक बार फिर बैलेट पेपर (मतपत्र) से वोटिंग कराने की मांग उठने लगी है। हर बार तरह चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की इस मांग को ठुकरा दिया है। गुरुवार को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि बैलेट पेपर अब इतिहास बन चुका है। अरोड़ा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मतपत्र अब से अब चुनाव कराना संभव नहीं है, वो इतिहास बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए आदेश के अनुसार वीवीपैड का इस्तेमाल किया जाएगा। सीईसी आगे कहा कि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन किसी भी अन्य मशीन की तरह खराब हो सकती है, लेकिन उसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इस पर कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा, मुझे नहीं लगता कि बैलट इतिहास बन गया है।
आज भी निकाय चुनाव बैलेट पेपर पर होते हैं। जिन मुल्कों में इतिहास बन गया था वहां दोबारा आ गया है। EVM पर सवालिया निशान जरूरत से ज्यादा हैं। अगर ऐसा रहा तो इंसाफ मिलना मुश्किल हो जाएगा। विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए चुनाव आयोग (EC) ने राजनीतिक दलों, जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधीक्षकों, आयकर और एक्साइज जैसी केंद्रीय नियामक एजेंसियों के साथ बैठक की और उसके बाद मुख्य सचिव, गृह सचिव के साथ भी बैठकें कीं। चुनाव आयोग किसी भी दिन महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा अब कर देगा। लेकिन झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ चुनाव आयोग नहीँ करेगा।
आयोग के सूत्रों के मुताबिक, झारखंड में चुनाव कराने की बाकी राज्यों से अलग स्थितियां हैं और अभी झारखण्ड की विधानसभा की अवधि खत्म होने में 3 महीने से अधिक का समय है। झारखंड विधानसभा को गठित करने की आखिरी तारीख़ 5 जनवरी है। सीईसी ने बताया कि दीपावली और मिड टर्म परीक्षा को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख तय की जाएगी। दीवाली के पहले चुनाव लेने की मांग कई दलों ने की है। हम हालात का पूरा जायजा लेकर फैसला लेंगे। इसके साथ ही आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार में प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करने की हिदायत दी है।
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